जब डॉक्टरों को शव का करना पड़ा ईसीजी

          हरदोई- जिले में एक हैरत अंगेज कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक युवक की मौत के तीन घंटे बाद परिजनों ने मृतक को जिंदा बताते हुए ईसीजी टेस्ट कराने की मांग की। इसके बाद डॉक्टरों ने इस बेतुकी मांग को मानते हुए मुर्दे का ईसीजी किया, जिसके बाद वह मुर्दा ही साबित हुआ।
          टडियावां थाना इलाके में एक दुर्घटना में बरगदिया गांव के नरवीर सिंह यादव गंभीर रूप से घायल हो गए जिन्हें 108 एंबुलेंस से उपचार के लिए हरदोई अस्पताल भेजा गया था, लेकिन अस्पताल ले जाते हुए मौत हो गई।अस्पताल में डॉक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया और शव को मोर्चरी में रखवा दिया।शव को मोर्चरी में रखवाने के करीब तीन घंटे के बाद जब मृतक के परिजन अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने मोर्चरी में रखे शव को मुर्दा मानने से इनकार कर दिया।
           परिजन शव को स्ट्रेचर पर रखकर इमरजेंसी वार्ड पहुंच गए, जहां उन्होंने मुर्दे को जीवित बताकर डॉक्टरों से उसका ईसीजी करने को कहा।इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने दोबारा चेक करने के बाद परिजनों को मृत होने की बात कही, लेकिन मृतक के परिजन बिना ईसीजी के उसे मृत मानने को तैयार ही नहीं थे।मौके पर पुलिस भी पहुंच गई, लेकिन मृतक के परिजन कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे इसके बाद डॉक्टरों को मृतक के तीमारदारों की बेतुकी मांग पूरी करनी पड़ी और मुर्दे का ईसीजी करना पड़ा हालांकि डॉक्टरों का कहना सही साबित हुआ।