आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला

प्रश्न― अधोटंकित शब्दों में से कौन-से शब्द उपयुक्त हैं और क्यों?

उपयुक्त शब्दों का वाक्य मे प्रयोग करके बतायें।
१– बरात २– बारात ३– बाराती ४– बराती

उत्तर―
चारों शब्दों मे से दो शब्द उपयुक्त हैं :― प्रथम, बरात और द्वितीय, बराती।

अब क्रमश: दोनो शब्दों को समझते हैं।

★ बरात― यह शब्द उपयुक्त है। इस पर आधारित प्रतियोगी परीक्षाओं मे प्रश्न भी किये जाते हैं; परन्तु दु:खद स्थिति यह है कि प्रश्नपत्रों मे भी उपयुक्त उत्तर के रूप मे इसका अनुपयुक्त प्रयोग किया जाता है। आपको अच्छी तरह से जान लेना चाहिए कि सही शब्द ‘बरात’ है और ग़लत शब्द ‘बारात’। इसे लेकर भ्रम और संशय की स्थिति उत्पन्न करने के लिए लगभग सभी हिन्दी-शब्द के कोशकार उत्तरदायी हैं। वे ‘बरात’ का अर्थ बताते हैं और ‘बारात’ का भी, जबकि सही शब्द ‘बरात’ को ‘बर’ से बनाया गया है, न कि ‘बरा’ और ‘बारा’ से। ‘बरा’ अथवा ‘बारा’ (दही-‘बरा’/’बारा’) तो एक प्रकार का व्यंजन है। ‘बरात’ तद्भव शब्द है, जबकि ‘वरयात्रा’ तत्सम शब्द है। आप ‘बरात’ शब्द को सही समझने के लिए ‘बर’ (‘वर’ का तद्भव शब्द) शब्द को ही याद किये रहें। गोस्वामी तुलसीदास ने ‘श्री रामचरितमानस’ मे रामविवाह के अवसर पर ‘बरात’ शब्द का प्रयोग किया है, “चली ‘बरात’ निसान बजाई। मुदित छोट बड़ सब समुदाई।।” लोकोक्ति भी है, “जस दूल्हा तस बनी बरात/बराता।”

★ बराती― ‘बरात’ शब्द से ही सही शब्द ‘बराती’ की रचना होती है, जबकि ‘बाराती’ शब्द ग़लत है। ‘बराती’ का तत्सम शब्द ‘वरयात्री’ है। बराती की परिभाषा है― जो ‘बर’ (वर) के साथ-साथ चलते हैं, उन्हें ‘बराती’ कहा गया है। ‘बर’ मे हिन्दी-प्रत्यय ‘आती’ के जुड़ते ही ‘बराती’ की रचना होती है। ‘श्री रामचरितमानस’ मे तुलसीदास कहते हैं, “बने ‘बराती’ बरनि न जाहीं। महामुदित मन सुख न समाहीं।।”

उल्लेखनीय है कि इसी नियम के आधार पर ‘घर’ और ‘घराती’ शब्दों की रचना की गयी है। ‘बराती-घराती’ का विपरीत अर्थ मे एकसाथ (साथसाथ/साथ-साथ) प्रयोग किया जाता है।

◆ ‘आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला’ नामक प्रकाशनाधीन कृति से सकृतज्ञता/साभार गृहीत (ग्रहण किया गया।)।
(सर्वाधिकार सुरक्षित― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १८ मई, २०२३ ईसवी।)