● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
कल (१७ मई) उच्चतम न्यायालय की ओर से जो तेवर प्रस्तुत किया गया था, उससे ई० डी०-आधिकारियोँ की निरंकुशता और ‘मोदी ऐण्ड कम्पनी (प्रा० लि०)’ की औक़ात सतह पर आती हुई दिख रही है। लगातार विपक्षी दलोँ के प्रमुख नेताओँ की, बिना किसी साक्ष्य के, पूछताछ के नाम पर गिरिफ़्तारी की जाती रही है, अब उसपर उच्चतम न्यायालय की ओर से जारी कल के आदेश से पूर्ण विराम लग चुका है और उक्त कम्पनी की बीभत्स प्रतिशोधात्मक मंशा पर पानी भी फिर गया है।
ज्ञातव्य है कि ई० डी० के ग़ुलाम अधिकारी ‘मोदी ऐण्ड कम्पनी (प्रा० लि०)’ के संकेत पर ८५ प्रतिशत विपक्षी दलोँ के नेताओँ को गिरिफ़्तार कर चुके हैँ।
उल्लेखनीय है कि १६ मई को, ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (ई० डी०) की ओर से ‘मनी लाण्ड्रिंग’ के मुआमले मे लगातार बिना किसी ठोस आधार की जा रही गिरिफ़्तारी को लेकर उच्चतम न्यायालय की ओर से आदेश किया गया है कि यदि प्रकरण विशेष न्यायालय मे विचाराधीन हो तो ई० डी० ‘प्रीवेंशन ऑव़ मनी लॉण्ड्रिंग एक्ट’ (पी० एम० एल० ए०) के ‘सेक्शन १९’ के अन्तर्गत दिये गये अधिकारोँ का उपयोग कर, आरोपित को गिरिफ़्तार नहीँ कर सकती। यदि वह गिरिफ़्तार करना चाहती हो तो उसे विशेष न्यायालय मे आवेदन करना होगा; आवेदन स्वीकृत होने के बाद ही गिरिफ़्तार कर सकेगी।
◆ इसपर मेरा एक लेख शीघ्र सार्वजनिक होगा।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय; १७ मई, २०२४ ईसवी)।