समीक्षक– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
आज (१८ मार्च) अहमदाबाद में भारत-इंग्लैण्ड के मध्य खेला गया टी-२० पेटीएम ट्रॉफ़ी का चौथा मैच अन्तिम ओवर तक जीत-हार के झूले में दर्शकों को झुलाता रहा। इधर, आर्चर का बल्ला टूटा, उधर एक विकेट गिरा और मैच के अन्तिम गेंद में असम्भव लक्ष्य से इंग्लैण्ड दूर रहा और भारत ८ रनों से मैच जीत लिया।

शुरू में जब रोहित शर्मा और के० एल० राहुल खेलने के लिए आये और २-३ ओवरों में ही प्रति ओवर ८-९ रन बनाने लगे थे तब लगा कि भारत बदले हुए तेवर में खेल रहा है; परन्तु ग़लत शैली में खेलने के कारण दोनों ही कुछ अधिक नहीं कर पाये; क्रमश: १२ और १४ रनों पर पैवेलियन लौट आये। विराट कोहली एक अनुभवहीन बल्लेबाज़ का परिचय देते हुए, आदिल की चक्करदार गेंद (गुगली) को समझे बिना एक ज़ोरदार प्रहार करने के चक्कर में विकेट के पीछे आऊट (१ रन) हो गये। सूर्यकुमार यादव के मारक प्रदर्शन के चलते (३१ गेंदों पर ५७ रन :– ३ छक्के; ६ चौके) भारत ने सम्मानजनक रनसंख्या अर्जित कर ली थी। सूर्यकुमार यादव-द्वारा ‘फाइन लेग’ की जगह पर खेली गयी गेंद को निर्णायक शर्मा को इंग्लैण्ड-क्षेत्ररक्षक को बहुत ही बारीक़ कैच को सही ढंग से लेते हुए कैसे दिख गया था? तीसरे निर्णायक ने जब निर्णय करने के लिए कैच करते हुए देखा था तब मैं भी देख रहा था कि क्षेत्रक्षक-द्वारा कैच को पूरी तरह से लेने के पहले ही गेंद उसकी ढीली अँगुलियों के बीच से ज़मीन को छू रहा था। ऐसे में, सम्बन्धित निर्णायक ने आऊट का ‘सॉफ़्ट सिग्नल’ (अम्पायर्स काल) देकर अपने ‘अन्धत्व’ का परिचय दिया है, फिर प्रश्न उठता है, जब उस बेईमान निर्णायक ने आऊट दे ही दिया था तब तीसरे निर्णायक के पास जाने की ज़रूरत क्या थी? उस निर्णायक को चाहिए था कि बिना कोई निर्णय किये सीधे तीसरे निर्णायक से पूछता। उस निर्णायक की अक्षम्य लापरवाही के चलते, शानदार बल्लेबाज़ी कर रहे सूर्यकुमार यादव की पारी का अन्त हो गया था। ऋषभ पन्त अपना स्वाभाविक प्रदर्शन करते हुए ३० रन बनाकर आऊट हुए थे। आगे चलकर, श्रेयस अय्यर ने अपनी क्षमता का स्वाभाविक प्रदर्शन किया था, जबकि हार्दिक पाण्ड्या असफल (११ रन) सिद्ध हुए। श्रेयस अय्यर अनेक खिलाड़ियों के साथ साझेदारियाँ करते हुए, रनगति को ९.१५ ओवर तक ले गये थे; परन्तु १८ गेंदों पर ३७ रन बनाकर वे आऊट हो गये थे। वेंकट सुन्दरम् को भी निर्णायक ने ८० मीटर की दूरी पर विवादास्पद कैच आऊट कराया था, जो कि उस निर्णायक की अदूरदर्शिता का परिणाम था। अन्त में, भारत ने २० ओवरों में १८५ रन बनाकर वर्तमान शृंखला के अब तक के मैचों में सर्वाधिक रन बनाये थे।
भारत-द्वारा इंग्लैण्ड को जीतने के लिए दिये गये लक्ष्य १८६ रन इंग्लैण्ड के लिए बिलकुल आसान नहीं दिख रहा था; क्योंकि उसके लिए आरम्भ से ही ६ रन प्रति ओवर दो-चार ओवरों तक बनाना चाहिए था। एक तरह से भारत ने इंग्लैण्ड पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना दिया था।
रॉय और बटलर की प्रभावकारी आरम्भिक जोड़ी विश्वप्रसिद्ध मानी गयी है। भारत की ओर से भुवनेश्वर-द्वारा किया गया पहला ओवर ‘मेडेन’ (रनरहित) रहा। बटलर ख़तरनाक दिख रहे थे; परन्तु वे भुवनेश्वर कुमार के ‘लेग कटर’ को उड़ाने के चक्कर में के० एल० राहुल को कैच थमा बैठे थे। इस प्रकार दो ओवरों में १५ रनों पर १ विकेट गिर चुका था। आगे चलकर, इंग्लैण्ड के खिलाड़ियों ने गेंदों पर प्रहार करते हुए, मैच को रोमांचक स्थिति में ला दिये थे। स्थिति यह हो गयी थी कि इंग्लैण्ड के ६ खिलाड़ी आऊट हो चुके थे और जीतने के लिए १७ गेंदों पर ३७ रन रन बन चुके थे। दोनों दल दबाव और तनाव में थे। विराट कोहली मैदान छोड़ चुके थे; कप्तानी रोहित शर्मा कर रहे थे। १८ वें ओवर में सैम करन के रूप में हार्दिक पाण्ड्या ने इंग्लैण्ड का सातवाँ विकेट उखाड़ दिया था। इंग्लैण्ड १५७ रन बना चुका था। इसके बाद पलड़ा भारत के पक्ष में झुकता रहा। मैदान में नमी के कारण गेंद को पकड़ने में भारतीय गेंदबाज़ों को कठिनाई हो रही थी। शार्दूल ठाकुर (४२ रन देकर ३ विकेट) हार्दिक पाण्ड्या (१६ रन देकर २ विकेट) ने शानदार गेंदबाज़ी की थी, जबकि सूर्यकुमार यादव ने जानदार क्षेत्ररक्षण करते हुए, भारत को जीत की ओर पहुँचा दिया था। आख़िरी ओवर में इंग्लैण्ड को २३ रन बनाने थे और गेंदबाज़ थे, शार्दूल ठाकुर आर्चर दो छक्के लगा चुके थे। ३ गेंदों पर ११ रन बनाने थे। शार्दूल निराश हो चुके थे; दो गेंदें वाइड कर चुके थे। १९.४ ओवर में प्रहार करते ही बल्ला टूट गया था। इंग्लैण्ड के जीतने और सुपर ओवर की सम्भावना भी दिख रही थी। अन्तत:, आठवाँ खिलाड़ी आऊट हुआ और आख़िरी गेंद पर ९ रन बनाने थे; परन्तु इंग्लैण्ड असफल रहा और भारत ८ रनों से मैच जीतकर शृंखला २-२ से बराबरी कर ली है।
अब आख़िरी मैच दोनों दलों के लिए “करो या मरो” का रहेगा।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १८ मार्च, २०२१ ईसवी।)