राघवेन्द्र कुमार ‘राघव’-
अब तो धर्मशत्रु पहचानो, भारत कहे पुकार के ।
सत्ता के लालच में तुम क्यों, चरणों में हो गद्दार के ॥
कब तक छद्म देश भक्ति, भारत को सहनी होगी ।
कब तक नग्न धर्म भक्ति, हिन्दुत्व को भरनी होगी ।
कश्मीर कहे जो नहीं हिन्द का, उसे भगाओ मार के ।
अब तो धर्मशत्रु पहचानो, भारत कहे पुकार के ।
सत्ता के लालच में तुम क्यों, चरणों में हो गद्दार के ॥
कब तक नामर्दों का रोना, भारतवासी बर्दाश्त करें ।
सूअर की औलादों को, आखिर क्यों प्यार दुलार करें ।
उच्चारण जो भी नापाक करे, रख दो सीना उसका फाड़ के ।
अब तो धर्मशत्रु पहचानो, भारत कहे पुकार के ।
सत्ता के लालच में तुम क्यों, चरणों में हो गद्दार के ॥
विषबेल अमर होने से पहले, कट जानी बहुत जरूरी है ।
गद्दारों की असली सूरत, अब दिख जानी बहुत जरूरी है ।
दसों दिशाओं में हो मातम, अब हर घर में गद्दार के ।
अब तो धर्मशत्रु पहचानो, भारत कहे पुकार के ।
सत्ता के लालच में तुम क्यों, चरणों में हो गद्दार के ॥