दसों दिशाओं में हो मातम, अब घर – घर में गद्दार के

राघवेन्द्र कुमार ‘राघव’-

    प्रधान संपादक, इण्डियन वॉयस 24

अब तो धर्मशत्रु पहचानो, भारत कहे पुकार के ।

सत्ता के लालच में तुम क्यों, चरणों में हो गद्दार के ॥

कब तक छद्म देश भक्ति, भारत को सहनी होगी ।

कब तक नग्न धर्म भक्ति, हिन्दुत्व को भरनी होगी ।

कश्मीर कहे जो नहीं हिन्द का, उसे भगाओ मार के ।

अब तो धर्मशत्रु पहचानो, भारत कहे पुकार के ।

सत्ता के लालच में तुम क्यों, चरणों में हो गद्दार के ॥

कब तक नामर्दों का रोना, भारतवासी बर्दाश्त करें ।

सूअर की औलादों को, आखिर क्यों प्यार दुलार करें ।

उच्चारण जो भी नापाक करे, रख दो सीना उसका फाड़ के ।

अब तो धर्मशत्रु पहचानो, भारत कहे पुकार के ।

सत्ता के लालच में तुम क्यों, चरणों में हो गद्दार के ॥

विषबेल अमर होने से पहले, कट जानी बहुत जरूरी है ।

गद्दारों की असली सूरत, अब दिख जानी बहुत जरूरी है ।

दसों दिशाओं में हो मातम, अब हर घर में गद्दार के ।

अब तो धर्मशत्रु पहचानो, भारत कहे पुकार के ।

सत्ता के लालच में तुम क्यों, चरणों में हो गद्दार के ॥