‘ताजमहल’ के नाम पर राजनीति करनेवालो! उत्तर दो।

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-


‘इण्टर पास’ विद्यार्थी, संगीत सोम, जो अब ‘भारतीय जनता पार्टी’ के प्रत्याशी के रूप में विधायक का चुनाव जीत कर उत्तरप्रदेश की राजनीति में पहुँचा है, क्या कहता है, सुनिए (वह विधायक मुझसे प्रत्येक स्तर पर लघुतर है, इसलिए उसे ‘तुम’ का सम्बोधन किया है।) :—–
० मुग़ल-बादशाह ग़द्दार थे। सबको इतिहास से हटाया जायेगा।
० ताजमहल ग़द्दारों का है, जिसने अपने बाप को मारा था। इसकारण ‘ताजमहल’ को ‘धरोहर की सूची’ से हटाया जाये।
अब मेरे प्रश्न :———-
० ‘लाल क़िला’ किसने बनवाया था? उसका कर्त्ता किसके साथ विवाह किया था?
० तुम्हारे प्रमुख नेता और देश के प्रधान मन्त्री ‘ग़द्दार-द्वारा निर्मित’ कराये गये ‘लाल क़िला’ में वर्ष में दो बार अनिवार्यत: क्यों जाते हैं; और वह भी उसके प्राचीर के पास खड़े होकर राष्ट्रवासियों को सम्बोधित क्यों करते हैं? तब तुम अपने उस नेता को वहाँ जाने से मना क्यों नहीं करते हो?
० जिस ‘ताजमहल’ को तुम और तुम्हारे नेताओं ने ‘वैश्विक आश्चर्य’ स्वीकार करने से सुस्पष्टत: मना कर दिया है, उससे दो वर्षों-पूर्व देश के शासन-संचालकों को ७५ करोड़ रुपये की आय हुई थी और उस धनराशि को चुपके से पवित्र मानकर रख लिया गया था; अन्तत:, क्यों?
० तुम यदि ‘बाप’ की हत्या करने के कारण ‘ताजमहल’ को ‘इतिहास’ से हटाने की बात करते हो तो बताओ :—- महाभारत के युद्ध में स्वजन ने ‘स्वजन’ को मारा था; कंस ने देवकी के पुत्रों की नृशंस हत्या की थी; राम ने निर्दोष शम्बूक की हत्या की थी; द्रौपदी का चीर-हरण किया जा रहा था तब सारे धर्मात्मा मौन थे; रावण ने सीता का अपहरण किया था; राम ने बालि का वध किया था; हमारे ग्रन्थ बहुत सारे ऋषियों के बीभत्स व्याभिचारिक मनोवृत्ति का कुपरिचय देते हैं; देवराज इन्द्र ने छद्मवेश धारण कर, ऋषिपत्नी के साथ शारीरिक सम्भोग किया था। इनके अतिरिक्त सहस्रों प्रकरण ‘हिन्दू’ ग्रन्थों में भरे फड़े हैं। ऐसे में धार्मिक-पौराणिक ग्रन्थों से इन सभी को क्यों नहीं निकाल बाहर करते? क्यों इनके और इनसे सम्बन्धित मन्दिरों में जाते हो? क्यों इन सभी के प्रति करबद्ध मुद्रा में खड़े रहते हो?
संगीत सोम! पहले अध्ययन करो और अपने को इस योग्य बनाओ कि जो तुम विचार व्यक्त करो, उस पर शीघ्र कोई अँगुली न उठा सके।
तुम और तुम्हारे उक्त विचार के पोषक किसी भी दल के नेता और सारे प्रवक्ता आमने-सामने रहो फिर तथ्य और तर्कपूर्ण उत्तर, प्रतिप्रश्न-प्रत्युत्तर से तुम सभी को निरुत्तर करने की क्षमता रखता हूँ।
एक सलाह : राष्ट्रवाद के मध्य ‘हिन्दू-मुसलमान’ की दीवारें मत खड़ी करो, अन्यथा परा-प्रकृति ध्वस्त कर देगी और तुम सभी मूक दर्शक के रूप में ठगे-ठगे से अपनी-अपनी ‘विश्वासघाती’ मुखमुद्रा देखते रह जाओगे।