
हजारों तंत्र हो मुझ में
हजारों मंत्र हो मुझ में
मैं फिर भी लीन रहू तुझ में।
न ज्ञान का अहंकार हो मुझ में
न आज्ञान का भंडार हो मुझ में
मैं फिर भी लीन रहू तुझ में।
योग का भंडार हो मुझ में
तत्व का महाज्ञान हो मुझ में
मैं फिर भी लीन रहू तुझ में।
न जीत का एहसास हो मुझ में
न हार का ह्रास हो मुझ में
मैं फिर भी लीन रहू तुझ में।
न जीवन की चाह हो मुझ में
न मृत्यु की राह हो मुझ में
मैं फिर भी लीन रहू तुझ में।
जीवन की अंतिम राह में
न कोई अपना चलेगा न पराया
जीवन की अंतिम राह में
न सिद्धियां काम आएगी न ऋद्धियां
जीवन की अंतिम राह में
न कोई तंत्र चलेगा न मंत्र फिरेगा
जीवन की अंतिम राह में
न कोई ह्रास होगा न प्रहास होगा
जीवन की अंतिम राह में
न कोई खुशी होगी न गम होगा
राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश