ईसा से 2737 साल पहले एक दिन चीन के सम्राट शेन नुंग के सामने रखे गर्म पानी के प्याले में कुछ सूखी पत्तियां आ कर गिरी, जिनसे पानी में रंग आया और जब उन्होंने उसकी चुस्की ली तो उन्हें उसका स्वाद बहुत पसंद आया। बस यही से चाय का सफर शुरू होता है । इस घटना के बाद से चाय चीन से यूरोप होती हुई पूरी दुनिया में फैल गई।
भारत में सबसे पहले सन 1815 में कुछ अंग्रेज यात्रियों का ध्यान असम में उगने वाली चाय की झाड़ियों पर गया। जिसे स्थानीय कबीलाई लोग पेय पदार्थ के रूप में इस्तेमाल करते थे। भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैटिंग ने 1834 में चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की संभावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन किया। इसके बाद 1835 में असम में चाय के बागान लगाए गए।
सभी प्रकार की चाय कैमिलिया सीनेंसिस नामक पौधे से तैयार होती है। चाय के बीजों से चाय के पौधे नर्सरी में तैयार किए जाते हैं। फिर इन्हें बागानों में रोपा जाता है। इनकी देखभाल, निराई-गुड़ाई की जाती है। फिर इनसे निकलने वाली पत्तियों की तुड़ाई पहली बार अमूमन मार्च में और इसके बाद साल में दो बार और (हर तीन महीने के बाद) की जाती है।
चाय की हरी पत्तियों को इसके पौधों से तोड़कर चाय फैक्टरियों में ले जाया जाता है। वहां पर इन्हें सूखने के लिए फैला दिया जाता है। इसके बाद उनको रोस्ट करते हैं। रोस्ट करने के बाद उनको टुकड़ों में तोड़ा जाता है इन्हीं टुकड़ों का प्रयोग काली चाय बनाने में करते हैं। टुकड़े तोड़ने से जो पाउडर बनता है वही बारीक चाय होती है ।
विश्व में चाय उत्पादन में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है। भारत में असम, पश्चिम बंगाल, केरल आदि राज्यों में मुख्यतः चाय का उत्पादन होता है। आसाम भारत का सबसे अधिक चाय उत्पादन करने वाला राज्य है।
चाय में कैफीन और टैनिन होते हैं। जिससे शरीर में फुर्ती का एहसास होता है । चाय में मौजूद अमीनो एसिड दिमाग को ज्यादा अलर्ट और शांत रखता है। चाय में एंटीजन भी होते हैं जो एंटीबैक्टीरियल क्षमता प्रदान करते हैं। आमतौर पर एक कप चाय में कैफीन की मात्रा लगभग 20 से 60 मिलीग्राम होती है। इसलिए हर दिन तीन कप से ज्यादा चाय पीने की सलाह नहीं दी जाती है। क्योंकि ज्यादा चाय पीना अनिद्रा का कारण भी बन सकता है।
चाय बागान में परिवार के साथ घूमने से तन-मन को ऊर्जा मिलती है तथा पारिवारिक सौहार्द बढ़ता है। चाय सामुदायिक और पारिवारिक पेय पदार्थ है। घर में परिवार के साथ और ऑफिस में दोस्तों के साथ चाय पीने से आपसी संबंध शर्तिया मजबूत होते हैं । इसलिए विशेषकर सर्दियों में चाव से चाय पियें और पिलाएं।
आप जब भी चाय पिए मुझे बुलाना न भूलें।