सभ्य समाज के लिए जातिवाद भयङ्कर ज़ह्र के समान घातक
किसी मानवीय राष्ट्र या समाज की व्यवस्था में जातिवाद एक भयंकर जहर के समान घातक है। गुणानुसार कर्मो का अधिकार ही मानवीय व्यवस्था हो सकती है। ध्यान रहे जातिवादी व्यवस्था जंगली होती है जिसमें जन्म […]
किसी मानवीय राष्ट्र या समाज की व्यवस्था में जातिवाद एक भयंकर जहर के समान घातक है। गुणानुसार कर्मो का अधिकार ही मानवीय व्यवस्था हो सकती है। ध्यान रहे जातिवादी व्यवस्था जंगली होती है जिसमें जन्म […]
अब तक लगभग सवा दो लाख लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है, जिसकी सीधी जिम्मेदारी सरकार की है। इसमें तमाम अपनों को भी खोया, आप चुप हैं, सरकार से कोई सवाल नहीं, मरनेवालों […]
पाली ( हरदोई )- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तहसील सवायजपुर ईकाई के पदाधिकारियों द्वारा ऋषभ कात्यायन के नेतृत्व में डॉ भीम राव अम्बेडकर की पुण्य तिथि परिनिर्वाण दिवस को समरसता […]
डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- हमारे प्रथम श्रेणी के राजनेताओं की आँखों में विश्वासघात के चित्र झिलमिलाते आ रहे हैं। वे आत्मविश्वास, आत्मबल तथा इच्छाशक्ति से रहित हैं; चरित्र, चाल, चेहरे से क्षत-विक्षत हैं; मनसा-वाचा-कर्मणा हीनतम हैं; […]
डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय हम कितने अज्ञानी हैं, जो ‘सवर्ण’ को मात्र कतिपय जातियों तक सीमित करके देखते हैं। पहले की व्यवस्था को वर्तमान सामाजिक व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में यदि देखा जाये तो आज की तुलना […]
डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय मुलायम सिंह यादव की सत्ताकालावधि में जिस तरह से ‘यादववाद’ की महामारी फैली हुई थी; मायावती के राजकाल में ‘दलितवाद’ का कुष्ठरोग विस्तार पा रहा था, उसी प्रकार का संक्रमणरोग वर्तमान मुख्य […]