आत्मपरीक्षण कर सीख ग्रहण करें : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-


०सफलता तुम्हारे हाथों में०


वर्ष २०१७ में आपसे कहाँ-कहाँ और क्यों भूलें हुई थीं; किस-किस व्यक्ति ने और क्यों आपके साथ विश्वासघात किया था; आपने किस-किस के भरोसे को चोट पहुँचायी थी; कहाँ-कहाँ आपका प्रमाद झलक रहा था; कब और क्यों आप अतिरिक्त ‘आत्मविश्वासी’ बनते रहे; किस-किसके साथ आपने छलावे किये थे; जो निष्पाप और निर्दोष था, उसका मन आपने क्यों दुःखाया था?— इन सभी प्रश्नों के आलोक में आपको स्वयं से तटस्थ उत्तर पाने होंगे।
दूसरी ओर, आपके अध्यवसाय में क्या कमी रह गयी थी, जिसके कारण आप गन्तव्य तक पहुँचने में समर्थ नहीं बन सके थे? आप ऐसी किस घटना के साक्षी बने थे, जिसका चिन्तन-अनुचिन्तन आपको वस्तुत: ‘मानव’ की श्रेणी में ला खड़ा करता है? ऐसा कौन-सा लक्ष्य है, जिसका सन्धान करते समय आपके पाँव ठिठक जाते हैं?— इन सभी बिन्दुओं को अपने अवचेतन से खींचकर, चेतना के धरातल पर लाते हुए, अपने चरित्र के दुर्बल और सबल पक्षों के साथ स्वयं को दो पृथक्-पृथक् पात्र बनाकर, आपको स्वयं से प्रश्न-प्रतिप्रश्न करने होंगे; उत्तर-प्रत्युत्तर देने होंगे; संवाद-प्रतिसंवाद करने होंगे।
निष्कर्षतः, जो-जो कार्य आपको नहीं करने चाहिए थे, उन्हें आपने क्यों किये थे?– इन सबके आलोक में आत्मपरीक्षण करते हुए, अभिनव वर्ष में संकल्प साधेंगे तो आप सभी की भावी दिशाएँ सकारात्मक सन्देश से सम्पूरित हो उठेंगीं, जो ऊर्जा के रूप में आपकी अप्रतिहत जिजीविषा और जिगीषा को ऊष्मा प्रदान करेंगी।