अशिक्षा, बेरोजगारी, असुविधा व असुरक्षा का तांडव जारी ..!
देश के मुखिया ने किया भ्रष्ट व्यवस्था का झण्डा ऊंचा सरकारी ..!!
मौजूदा देश-प्रदेश की 75 वर्षीय भाजपाई व कांग्रेसी सरकारें टैक्स के पैसों (सरकारी खज़ाना) से सिर्फ नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण चार जिम्मेदारियों को पूरा करने हेतु चुनी जाती हैं।
1◆प्रत्येक नागरिक को कम्प्लीट शिक्षा-प्रशिक्षण का अवसर व संसाधन वितरित करें।
2◆प्रत्येक परिवार को उनकी पात्रतानुसार एक रोजगार/नौकरी के अवसर व संसाधन वितरित करें।
3◆प्रत्येक गाँव/मोहल्ले को समानुपातिक रूप से सार्वजनिक सेवा-सुविधा (सड़क, पीने का साफ़ पानी, बिजली, संचार, परिवहन, रिहायसी जमीन, बाज़ार इत्यादि) मुहैया करवायें।
4◆संरक्षण सेवा (बीमा, बैंकिंग, स्वास्थ्य से जुड़े हॉस्पिटल व दवाइयां व शेल्टर होम, पेंशन इत्यादि) मुहैया करवायें।
उपरोक्त चार महत्वपूर्ण सामाजिक/सार्वजनिक कार्यों पर ही राष्ट्रीय व प्रदेश सरकारें टैक्स रूपी धन को खर्च कर सकती हैं।
इसके अलावा कहीं भी किसी भी अन्य कार्यों पर सरकारी ख़ज़ाने के धन को खर्च करना संवैधानिक अपराध है।
मौजूदा सभी सरकारें उपरोक्त चार जनहिताधिकारों से जुड़े कार्यों पर खर्च करने के अलावा बाकी सारे कार्य कर रही है जो कि सरासर सरकारी ख़ज़ाने का दुरुपयोग ही सिद्ध होता आ रहा है।
अब वक्त आ गया है कि मौजूदा देश की व प्रदेशों के “फैसलालयों में बैठे फैसलाधीश” अपनी न्यायिक जिम्मेदारी निभाते हुए विभिन्न सरकारों को स्पष्ट रूप से आदेशित करें कि
मौजूदा भाजपाई व कांग्रेसी सरकारें दिल्ली की आमआदमीपार्टी की सरकार की तर्ज पर अपने राष्ट्रीय/प्रादेशिक वार्षिक बजट को चार बराबर भागों में बाँटकर न्यायशील “दिल्ली मॉडल” को स्वीकारें व जनहिताधिकारों को वितरण करने के नियम बनायें।
1●पहला 25% शिक्षा बजट।
2●दूसरा 25% रोजगार बजट।
3●तीसरा 25% सुविधा बजट।
4●चौथा 25% मानवीय संरक्षण बजट।
ताकि देश व प्रदेश की सरकारें टैक्स रूपी धन का दुरूपयोग करना तुरंत बंद कर जनहिताधिकारों के कार्यों पर खर्च करें।
क्योंकि यह नियम पालन करने से ही वास्तविक रूप से संवैधानिक उद्देशिका में निर्देशित नागरिकों के लिए
★सामाजिक न्याय
★आर्थिक न्याय व
★राजनैतिक न्याय की प्रमाणिकता सिद्ध हो सकेगी।
अगर ऐसा नही किया गया तो वह दिन जल्द आने वाला है जब देश पूरी तरह से पुनः गुलाम हो जाएगा।
और फिर कोई नागरिक किसी भी प्रकार का टैक्स या रेवेन्यू अपनी सरकारों को दे पाने में सक्षम नही होगा।
देश के नागरिकों की महत्वपूर्ण चार जनहिताधिकारों को यदि पिछले 75 सालों में पूरा किया गया होता तो आज हमारे देश की लगभग 80 प्रतिशत आबादी अशिक्षा, कुशिक्षा, अल्पशिक्षा व बेरोजगारी एवं असुविधा व असुरक्षा के नारकीय दंश को न झेल व जी रही होती।
पूर्व में यह बात किसी से छुपी नही रही कि Corona जैसी महामारी में लाखों नागरिकों ने अपने परिवारियजनों की जानें यूँ ही जनाधिकारों के अभाव में गवाँ चुके हैं।
अभी देर नही हुई, अब भी वक़्त है देश के बुद्धिजीवियों, राजनीतिज्ञों, ज्ञानियों से विनम्र आग्रह है कि मौजूदा भाजपाई व कांग्रेसी सरकारों पर यह उपरोक्त नियम पालन करने हेतु दबाव बनाएं।
यदि वे मान जाएं तो ठीक अन्यथा भारतीय राजनीति की इकलौती पार्टी आमआदमीपार्टी के मुखिया आदरणीय श्री अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व में सम्पूर्ण देश का नेतृत्व देशहित में अविलंब देने का प्रयास शुरू कर दिया जाए।
✍ राम गुप्ता (स्वतंत्र पत्रकार)
अतिसाधारण कार्यकर्ता/प्रचारक
आमआदमीपार्टी, उत्तरप्रदेश