महंगाई, अशिक्षा, बेरोजगार के खिलाफ समाजवाद ही असली हथियार है

(शाश्वत तिवारी)

महंगाई, अशिक्षा, बेरोजगारी और असमानता के खिलाफ समाजवाद ही असली हथियार है। समाजवाद जाति विशेष का बंधक नहीं है। समाजवाद जाति तोड़ो का परिचायक है। समाज में समता समानता और सम्पन्नता लाना ही समाजवाद है। इन्हीं बातों को अंगीकार करते हुए आचार्य नरेन्द्र देव ने समाजवाद का नारा दिया। संसार में जबतक समाजवाद रहेगा आचार्य नरेन्द्र देव के विचारों की प्रसांगिकता बनी रहेगी।
गांधी भवन में समाजवाद के पितामह, प्रख्यात शिक्षाविद आचार्य नरेन्द्र देव की 131वीं जयन्ती पर गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट द्वारा आयोजित नरेन्द्र देव के नजरिये का समाजवाद विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान आचार्य नरेन्द्र देव के चित्र पर माल्र्यापण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

नरेन्द्र देव सम्पन्न परिवार से थे। इसके बावजूद वह राष्ट्रीय आन्दोलन में शामिल हुए और समाजवादी विचारधारा को अंगीकार करते हुए कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया। वर्तमान परिवेश में सम्पन्न परिवार के लोग व्यवस्था को कोसते जरूर है लेकिन सड़क पर नहीं निकलते है। वह स्वयं में, व्यक्ति में या फिर जाति में सीमित हो गए है। जबकि कुछ लोग परिवार को जोड़कर समाजवाद की विरासत को आगे बढ़ा रहे है। जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा ने बताया कि 1934 में जब कांग्रेस से टूट कर समाजवादी विचारधारा के लोगों ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया था, तो जो गुट अलग हो गया था, उसका नेतृत्व नरेंद्र देव ने ही किया था। मार्क्सवाद से अलग हट कर समाजवाद की जो विचारधारा भारतीय परिवेश में समाहित हुई। उसकी चिंतन परंपरा में आचार्य नरेंद्र देव अग्रणी थे। कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी से सोशलिस्ट पार्टी से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी तक यह आंदोलन अनेक कलेवर बदलता रहा। अंततः लोहिया के निधन के बाद यह कमजोर पड़ गया। इसी आंदोलन के चिंतक आचार्य नरेंद्र देव थे।
समाजवादियों ने देश को संवारने का काम किया। आज समाजवाद जातियों में विभाजित हो गया है। जरूरत समाजवाद को अंगीकार करने की है।