वर्तमान सरकार से मीडिया जगत का वजूद खतरे में : अनिल दूबे आजाद (क्रांतिकारी पत्रकार परिषद प्रमुख)

जौनपुर उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों से आए दिन मीडिया कर्मियों पत्रकार व संपादक बंधुओं से दुर्व्यवहार मारपीट व झूठे आरोप जैसी संगीन घटनाएं होती जा रही हैं साथ-साथ मनगढ़ंत फर्जी केस लगा देना पुलिस प्रशासन के लिए आम बात बनती जा रही है यहां तक की हत्याएं भी खुलेआम कर दी जा रही हैं इसके बावजूद भी तथाकथित बड़े मीडिया घराने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के अहंकार में कुंभकर्णी निद्रा में सो रहे हैं । इसीलिए खुद *जागने और उन्हें जगाने* का समय आ गया है ।

प्रदेश में शीघ्र पत्रकार सुरक्षा कानून लागू हो अन्यथा मीडिया जगत के अस्तित्व पर संकट मंडराता रहेगा और हम आपस में एक दूसरे की टांग खिंचाई में मस्त रहेंगे । *क्रांतिकारी पत्रकार परिषद प्रमुख संस्थापक संपादक अनिल दूबे आजाद* द्वारा जारी की गई इस अपील को अब पूरे प्रदेश में पहुंचाने के लिए मासिक रूप से प्रकाशित राष्ट्रसाक्षी पत्रिका के अलावा हैंड बिल और सभी जनपद के जिला प्रभारियों द्वारा जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन का माध्यम बनाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं । अध्यक्ष देवेश मिश्र और वाराणसी मंडल प्रभारी जितेंद्र चौधरी ने संयुक्त रूप से अपने बयान में बताया कि शीघ्र ही इस बाबत सभी सम्मानित साथियों को सूचनाएं प्रेषित की जा रही है ताकि आंदोलन और प्रदर्शन की राह पकड़ने के लिए भी तैयार रहें मीडिया जगत,पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं पर राज्यपाल उत्तर प्रदेश को सम्बोधित एक ज्ञापन सौंप कर समस्याओं के निराकरण की मांग की जाएगी।

*क्रांतिकारी पत्रकार परिषद* पदाधिकारी द्वय ने कहा कि प्रदेश में आये दिन हो रहे पत्रकारों/मीडियाकर्मियों पर हमले के बावत प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाना अब अतिआवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि जब देश का चौथा स्तम्भ सुरक्षित होगा, तभी वह स्वतंत्र व निर्भीक रूप से समाज को सही आइना व सही दिशा दिखा पायेगा।

प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाये जाने तक क्रांतिकारी पत्रकार परिषद (k p p) चुप बैठने वाली नहीं है। इसके लिये सड़क से संसद तक लड़ाई लड़ी जायेगी। इसके लिये सभी पत्रकार साथियों को एकजुट होना पड़ेगा। और छोटे बड़े का अहंकार छोड़ना होगा तभी पत्रकार सुरक्षा कानून लागू हो सकेगा। साथ ही मीडियाकर्मियों की मान-मर्यादा सुरक्षित रह सकेगी। क्योंकि *आज तो प्राण ही सुरक्षित नहीं है तो मान और मर्यादा की बात करना विशुद्ध रूप से बेईमानी कही जाएगी* इसलिए जागो और जगाओ कार्यक्रम के तहत यह कहना है कि ‘हम सोता सिंह जगा देंगे तो क्या कोई उसे सुला देगा हम घर घर दीप जला देंगे तो क्या फिर कोई उसे बुझा देगा’