आज (१ अक्तूबर) ठाकुर श्रीनाथ सिँह का जन्मदिनांक है
हिन्दीबाल-पत्रकारिता के माध्यम से देश मे अपनी पहचान बनानेवाले ठाकुर श्रीनाथ सिँह का जन्म १ अक्तूबर, १९०१ ई० को इलाहाबाद जिला के अन्तर्गत मानपुर गाँव मे हुआ था।
उन्होँने इलाहाबाद को अपनी कर्मभूमि बनाकर साहित्यिक और पत्रकारिता को गति देने का प्रभावपूर्ण रचनात्मक कार्य किया था। वर्ष १९९६ ई० मे उनका निधन हो गया था।
भाषाविज्ञानी एवं शताधिक बालसाहित्य-कृतियोँ के कृतिकार आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय यदा-कदा ठाकुर श्रीनाथ सिंह के ममफोर्डगंज, इलाहाबाद-स्थित निवास मे जाकर उनसे भेँटकर उनसे रचनात्मक संवाद किया करते थे। आचार्य ने बताया, “बहुत कम लोग जानते हैँ कि ‘इण्डियन प्रेस’, इलाहाबाद के सम्पादकोँ मे बहुआयामी प्रतिभा के धनी देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘सरस्वती’ और बालपत्रिका ‘बालसखा’ एवं ‘दीदी’ के सम्पादक श्रीनाथ सिँह बीस से साठ के दशक मे बाल-साहित्यकारोँ के अभाव मे विविध नामो से रचनाएँ लिखते थे। यदि नहीँ लिखते तो पत्रिकाओँ का प्रकाशन सम्भव ही नहीँ था। यही कारण था कि उन्हेँ कई नामो का सहारा लेना पड़ता था। वे ‘खरमस्त’, ‘लाल कवि’, ‘लालसखा’, ‘कुसुम कुमारी देवी कलि’, ‘श्यामाबाई’, ‘लछमी कान्त वर्मा’, ‘श्रीश’ इत्यादिक छद्म नामो से लिखते थे।” आचार्य पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने बताया कि सम्पादक को अपनी समाचारपत्र-पत्रिकाओँ का अस्तित्व बचाये और स्तर बनाये रखने के लिए ऐसा करना पड़ता है। मुझे स्वयं अपने सम्पादन मे पत्र-पत्रिकाओँ मे ‘डॉ० निशा नाथ’, ‘प्रियंवदा’, ‘नचिकेता’, ‘कात्यायन’, डॉ० ‘अचला पाण्डेय’, ‘विश्वबन्धु’, ‘मनंजय मयंक’, ‘पृनापा’, ‘साहित्यिक’ इत्यादिक नामो से लेखन करने पड़े थे।”
वे आरम्भ मे अपने मूल नाम ‘श्रीनाथ सिँह’ के नाम से लिखा करते थे; बाद मे ‘ठाकुर’ शब्द जोड़े थे।
आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बताते हैँ कि ठाकुर श्रीनाथ सिँह इण्डियन प्रेस के सम्पादकोँ मे एकमात्र ऐसे सम्पादक थे, जिन्होँने वहाँ से प्रकाशित सर्वाधिक पत्रिकाओँ के सम्पादन किये थे, जिनमे ‘बालसखा’ (१९२७-४५), ‘सरस्वती’ (१९३३-३८), ‘हल’ (१९३९), ‘देशदूत’ (साप्ताहिक एवं दैनिक) सम्मिलित थे। इससे सुस्पष्ट होता है कि वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इनके अतिरिक्त उन्होँने सुदर्शन प्रेस, इलाहाबाद से प्रकाशित ‘दैनिक देशबन्धु’, दीदी प्रेस, इलाहाबाद से प्रकाशित ‘दीदी’ एवं ‘बालबोध’ तथा मित्र प्रकाशन, इलाहाबाद से प्रकाशित ‘मनमोहन’ पत्रिका के सम्पादन किये थे।
ठाकुर श्रीनाथ सिँह की विविध वर्ग के पाठकोँ के लिए पुस्तकेँ अति लोकप्रिय रही हैँ, जिनमे ‘क्षमा’, ‘प्रेम परीक्षा’, ‘उलझन’, ‘नयनतारा’, ‘अपहृता’ इत्यादिक हैँ। उनकी बालसाहित्य-कृतियाँ हैँ :– ‘दो कुबड़े’, ‘पृथ्वी की कहानी’, ‘परी देश की सैर’, ‘गुब्बारा’ इत्यादिक।