आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला

शब्दों मे (‘शब्दों के’ अशुद्ध है।) अन्तर को समझें―

◆ कोश और कोष
‘कोश’ नैसर्गिक, स्वाभाविक तथा प्राकृतिक है, जबकि ‘कोष’ अनैसर्गिक, कृत्रिम तथा अस्वाभाविक है।
आप ‘कोशिका’ का प्रयोग करते हैं; क्योंकि वह निसर्ग/ प्रकृति-जन्य है। आप उसे ‘कोषिका’ नहीं कह सकते। ‘कोष’ द्रव्यादिक से सम्बद्ध शब्द है, फिर द्रव्यादिक नैसर्गिक और प्राकृतिक नहीं होते। कोशिका जनन और उपापचय क्रिया सम्पन्न करती है। इसी प्रकार के शब्द ‘कोशाणु’, ‘कोशातक’ तथा ‘कोशाण्ड’ भी हैं। वे समस्त शब्द ‘सर्जन’/’रचना’ के अन्तर्गत आते हैं, जो कि नैसर्गिक हैं। जिस भी कोश मे ‘शब्दकोश’ के अर्थ मे ‘शब्दकोष’ बताया गया है, वह पूर्णत: अशुद्ध है। इस दृष्टि से जिस एक कोश-विशेष संस्कृतकोश का नामकरण ‘अमरकोष’ किया गया है, वह अशुद्ध, अनुपयुक्त है तथा आपत्तिजनक भी।

(सर्वाधिकार सुरक्षित― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ३१ अगस्त, २०२३ ईसवी।)