श्रीलंका ‘दिवालिया’ होने की स्थिति मे!..?
★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ■ भारतीय दर्शनशास्त्री (यहाँ ‘दार्शनिक’ शब्द का प्रयोग अशुद्ध है और अनुपयुक्त भी।) ‘चार्वाक’ का भौतिकवादी कथन समझिए :–“यावज्जीवेत सुखं जीवेद, ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत।”(जब तक जियें सुख से जियें […]