‘अनलॉक’ के मध्य महामारी से सुरक्षित रहते हुए आगे बढ़ने की चुनौतियाँ’

आरती जायसवाल (साहित्यकार, समीक्षक)

‘कोरोना महामारी’ के संकट काल में अब जबकि हमारे देश में संक्रमितों की संख्या भयावह आंकड़ों के साथ लाखों में पहुँच रही है।

हम सभी का नैतिक कर्त्तव्य है कि हम अपने साथ-साथ अपने परिवार और समाज तथा सम्पूर्ण मानव जाति की रक्षा का सङ्कल्प लें और दृढ़तापूर्वक औषधीय निर्देशों का पालन करें।

आपदा-विपदा ,विषाणु और महामारी का हमारी भावनाओं से कोई सम्बन्ध नहीं होता अतः भावनाओं के साथ विचारों को भी जाग्रत रखें।

स्वस्थ रहना और अपने शरीर की रक्षा करना मनुष्य का प्रथम कर्त्तव्य होता है ताकि वह निर्विघ्न अपने लक्ष्य को पा सके तथा अपना जीवन सफ़लतापूर्वक व्यतीत कर सके।
समूचे विश्व के चिकित्सा विज्ञानी एवं वैक्सीन निर्माता कम्पनियों को आशा है कि सितम्बर २०२०तक कोरोना वैक्सीन बाज़ार में आ जाएगी किन्तु जब तक वैक्सीन निर्मित न हो जाए तब तक हमारी भी ज़िम्मेवारी है कि हम इस महामारी से बचने के सारे उपायों को अपनाते हुए सुरक्षित रहें।

हमें अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता है। हमें अपने आहार और जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव लाने ही होंगे ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सचेत किया है कि इस विषाणु से मुक्ति की सम्भावना कम है और एड्स ,कैंसर आदि जैसे अन्य विषाणुओं की भाँति यह भी पृथ्वीवासियों के जीवनमृत्यु की कड़ी बनकर रह जाएगा।

सरकार ने पिछले कई दिनों में निरन्तर सभी को जागरुक करने वाले उपाय किए हैं,घर-घर निगरानी के अन्तर्गत आशा बहुओं को सर्वे हेतु लगाया गया है और आरोग्य सेतु एप भी है ,जाँच की दर भी बढ़ी है और संक्रमितों की संख्या भी क्योंकि आप अपनी परवाह कर नहीं रहे हैं और शासन और प्रशासन हर जगह आपको निर्देशित करने अथवा दण्ड देने नहीं आ सकते हैं ।

आप स्वयं मानवीयता का परिचय देते हुए संयमित रहें और सुरक्षा उपाय अपनाते हुए अपने जीवन-पथ पर बढ़ें ताकि जीवन-पथ कर्त्तव्य-पथ बनें।

देश के इस कोने से उस कोने में जा रहे जन के साथ-साथ ‘कोरोना वायरस’ भी यात्रा कर रहा है और भविष्य में होने वाली अन्य यात्राएँ भी उसे संवहन करेंगी, ऐसे में महामारी से बचाव के दिशा निर्देशों का पालन न करने वाले लोग लापरवाही से इसे और फ़ैलाने में सहायता कर रहे हैं, जिसके भयावह परिणाम सामने आ सकते हैं, अभी भी समय है चेत जाएँ !

ध्यान रखें मानव जीवन अनमोल होता है,यों ही उसे हड़बड़ी और भागमभाग में नष्ट कर देना मूर्खता है।

जिन स्वप्नों के साथ आप उड़ान भरने निकलें हैं,आपके न रहने पर न तो उन स्वप्नों का कोई अस्तित्त्व रहेगा न मिलने-मिलाने का।

यह चिर सत्य है जीवन और मरण किसी के हाथ में नहीं किन्तु फिर भी परस्पर शारीरिक दूरी, मास्क,सेनेटाइजर आदि औषधीय निर्देशों का पालन करें ।

‘मनुष्य होना जितना सत्य है उसका कर्मशील होना भी उतना ही सत्य है।’ पिछले चरणों के ‘लॉक डाउन’ से हमने जितना कुछ सीखा है उसे भूलें नहीं और सकारात्मक रहें क्योंकि—-
‘जो पा लेते हैं हर हाल में जीने का हुनर,
वक़्त भी उनको झुककर सलाम करता है।

यह न भूलें कि महामारी की यह विभीषिका विश्वव्यापी है अतः ‘अपनी और अपने परिवार की रक्षा स्वयं करें स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें जिसमें मानवता की रक्षा निहित है।’