“तलब जी विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं। कुछ लोग चाटुकारिता के बल पर पैठ बना लेते हैं, जबकि तलब जौनपुरी ने अपने व्यक्तित्व के बल पर अपनी पहचान बनायी है। उनकी रचनाओं मे कल्पना की ज़बरदस्त उड़ान है।”
उपर्युक्त उद्गगार २२ जनवरी को चर्चित शाइर तलब जौनपुरी को ‘अन्तरराष्ट्रीय जुनूँ एवार्ड’ से सम्मानित करने के लिए
‘रैन बसेरा’ भवन, बाघम्बरी गृह-परियोजना, अल्लापुर, प्रयागराज के सभाकक्ष मे आयोजित समारोह मे अध्यक्षता करते हुए, कविवर दयाशंकर पाण्डेय ने व्यक्त किये थे।
समारोह के मुख्य अतिथि भाषाविज्ञानी एवं समीक्षक आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने कहा, “तलब जी के ग़जल, शाइरी तथा नज़्मो मे लोकजीवन का स्पन्दन है। उनकी शाइरी मे अरबी, फ़ारसी, तुर्की, पश्तों के शब्दों का मनोरम संगम है, जो देश-काल, परिस्थिति-पात्र के साथ न्याय करते हुए दिखते हैं।”
विशिष्ट अतिथि शाइर फ़र्मूद इलाहाबादी ने कहा, “तलब जी फ़िराक़ गोरखपुरी, उपेन्द्रनाथ अश्क़, बुद्धिसेन शर्मा, रमेशचन्द्र द्विवेदी आदिक की परम्परा का कुशलता के साथ निर्वहण करते आ रहे हैं।”
समारोह के आरम्भ मे अध्यक्ष और मुख्य अतिथि ने मा शारदा के चरणों मे पुष्पमाला अर्पण किया, तदनन्तर कवयित्री सरिता मिश्र ने सरस्वती-वन्दना की। इसके पश्चात् प्रतिष्ठित रचनाधर्मी श्रीराम मिश्र ‘तलब जौनपुरी को अन्तरराष्ट्रीय सम्मान ‘जुनूँ एवार्ड’ से अध्यक्ष, मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथि ने अंगवस्त्र और प्रशस्तिपत्र से आभूषित कर, उनका अभिनन्दन किया।
कवि-सम्पादक उमेश श्रीवास्तव, शैलेन्द्र कुमार ‘जय’ तथा केशव सक्सेना ने अन्तरराष्ट्रीय संस्था ‘विश्व मानव-संघ’ और तलब जौनपुरी का परिचय प्रस्तुत किया।
कथाकार शिवमूर्ति सिंह ने कहा, “तलब जी से जो एक बार मिलता है, उनका मुरीद हो जाता है।
पूर्व-प्राचार्य डॉ० शारदा पाण्डेय ने बताया, “जो इनकी ग़ज़लों को सुनता है, इनकी विद्वत्ता से प्रभावित हो जाता है।”
गीतकार शम्भुनाथ त्रिपाठी ‘अंशुल’ ने कहा, “तलब जी की रचनाएँ विश्व-समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं।”
इसी अवसर पर कवि विवेक सत्यांशु को उनकी कृति ‘कलम के दिहाड़ी मजदूर’ के लिए कवि और समारोह के संयोजक मुकुल मतवाला ने अपनी ओर से गुप्त धनराशि प्रदानकर सम्मानित किया।
दो चरणो मे आयोजित समारोह के द्वितीय चरण के अन्तर्गत काव्यपाठ का आयोजन किया गया, जिसमे शिवराम गुप्ता, डॉ० शारदा पाण्डेय, अनामिका पाण्डेय ‘अना’, कमलनारायण शुक्ल, मंजु पाण्डेय ‘महक’, रचना सक्सेना, उर्वशी उपाध्याय, उमेश श्रीवास्तव, दयाशंकर पाण्डेय, आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, फ़र्मूद इलाहाबादी, जनकवि प्रकाश, के० पी० गिरि, डॉ० वीरेन्द्र तिवारी, एस० पी० श्रीवास्तव, संजय सक्सेना आदिक ने विविध रसभरी रचनाओं का पाठ कर, वातावरण को मोहक और रसीला बना दिया था।
प्रथम सत्र का संचालन मुकुल मतवाला और द्वितीय का उमेश श्रीवास्तव ने किया।