
हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयागराज एवं सरदार पटेल विश्वविद्यालय, आणन्द (गुजरात) के संयुक्त तत्त्वावधान मे सम्मेलन का ७६ वेँ त्रिदिवसीय (२१ से २३ मार्च तक) राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन विश्वविद्यालय के एम० पी० पटेल श्रोतृशाला मे किया गया। हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमन्त्री कुन्तक मिश्र ने अभ्यागतगण का स्वागत करते हुए कहा, “हिन्दी एक भाषा ही नहीँ, बल्कि देश का प्राणतत्त्व भी है। मुझे यह कहने मे गौरव का अनुभव हो रहा है कि यहाँ देश के कोने-कोने से आये विद्वज्जन इस राष्ट्रीय अधिवेशन मे अपनी सक्रिय सहभागिता कर इस आयोजन को धन्य कर रहे हैँ। आप सबको जानकर प्रसन्नता होगी कि गुजरात राज्य मे सम्मेलन का यह चौथा राष्ट्रीय अधिवेशन है।”
विशेष अतिथि सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० निरंजनभाई पटेल ने कहा, “आजका दिन हमारे लिए गौरव का विषय है कि हमारे विश्वविद्यालय मे विद्वज्जन पधारे हैँ, यह हमारे लिए अति गौरव का विषय है। हमे नहीँ भूलना चाहिए कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए पहली आवाज़ इसी भूमि से उठी थी।”
गुजरात हिन्दी साहित्य अकादमी के महामात्य डॉ० जयेन्द्र जादव ने कहा, “क्या हिन्दी मे राष्ट्रभाषा बनने की क्षमता नहीँ है? है; मगर कुछ लोग हैँ, जो विरोध कर रहे हैँ। हमे यह भी समझना होगा कि विरोध उसी का होता है, जिसमे ताक़त होती है; जिसका वैशिष्ट्य होता है। इसी भाषाभिमान के साथ हमे आगे बढ़ना चाहिए।”
अधिवेशन-सभापति प्रो० अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने कहा, “जो लोग कहते हैँ कि भाषा हम पर लादी जा रही है, वे उचित नहीँ कहते; क्योँकि भाषा किसी पर बोझ नहीँ होती। सरकार हिन्दीभाषा को राष्ट्रभाषा क्योँ नहीँ घोषित कर पाती है, समझ से परे है। यह डर की राजनीति क्योँ है? हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए किसी आन्दोलन की आवश्यकता नहीँ है। ”
सम्मेलन-सभापति प्रो० सूर्यप्रसाद दीक्षित ने कहा, "हिन्दी डण्डे के बल पर नहीँ सुधारी जा सकती, सौहार्दपूर्वक सुधारी जा सकती है। लिपिभेद से भाषाभेद नहीँ होता। आवश्यकता है कि हम भारतीय भाषाओँ के शब्दोँ को भी हिन्दीभाषा मे सम्मिलित करेँ। हिन्दी को जब तक रोज़गार से नहीँ जोड़ा जायेगा तब तक माता-पिता अपने बच्चोँ को हिन्दी से नहीँ जोड़ना चाहता। ज्ञानपरम्परा से जोड़े, रोटी से जोड़े; राष्ट्रीयता से जोड़े तथा मनुष्य बनाये।''
अन्त मे, सम्मेलन-संरक्षक विभूति मिश्र ने सबके प्रति प्रतीकात्मक आभारज्ञापन किया।
इस अवसर पर देश के विभिन्न अंचलोँ से हिन्दीसेवियोँ की भागीदारी रही, जिनमे डॉ० मंगला अनुज, डॉ० विजयदत्तश्रीधर, आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रो० रामकिशोर शर्मा, डॉ० ख़ुशीराम शर्मा, प्रो० कल्पना गवली, डी० के० सिँह, डॉ० पंकजमोहन सहाय डॉ० प्रभात ओझा, हीना, मुरलीधर पाण्डेय, डी० एन० सारस्वत, शेषमणि पाण्डेय इत्यादिक शताधिक की प्रभावकारी उपस्थिति रही।
समारोह का संचालन श्यामकृष्ण पाण्डेय ने किया।