
रायसीना पहाड़ी पर स्थित राष्ट्रपति भवन (पूर्व नाम वाइसरॉय हाउस) के पीछे बना हुआ अमृत उद्यान (पूर्व नाम मुग़ल गार्डन) तत्कालीन वाइसरॉय लार्ड होर्डिंग की पत्नी लेडी होर्डिंग की इच्छा और एडविन लुटियंस की वास्तुकला का अद्धभुत संगम है। 113 एकड़ में फैला हुआ अमृत उद्यान वस्तुतः ब्रिटिश, मुग़ल और आधुनिक शैली में बना हुआ कई उद्यानों का सम्मिलित रूप है।
यह उद्यान प्रतिवर्ष फ़रवरी- मार्च माह में (एक वर्ष अपवाद) जनता के लिए खोला जाता है। इस वर्ष यह उद्यान 30 मार्च 2025 तक आम जनता के खुला रहेगा।
प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से लेकर तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू तक लगभग सभी ने इसमें कुछ जोड़ा, सुधार किया है। डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने इसे जनता के लिए खोला, डॉक्टर जाकिर हुसैन इसमें गुलाबों की विभिन्न प्रजातियां लाए तो कलाम साहब ने बोनसोई गार्डन के प्रति विशेष रुचि दिखाई।
अमृत उद्यान घूमने हेतु निःशुल्क ऑनलाइन बुकिंग राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट पर जाकर एक सप्ताह पहले से की जा सकती है। अगर पहले अपॉइंटमेंट नहीं लिया है तो अमृत उद्यान के गेट पर जाकर भी ऑनलाइन टिकट ले सकते हैं। QR कोड की सहायता से मोबाइल से भी टिकट बुक किया जा सकता है।
अमृत उद्यान में प्रवेश राष्ट्रपति भवन के गेट संख्या 34 से होता है। यह गेट नार्थ एवेन्यू के नजदीक है। छुट्टियों के दिन (शनिवार, रविवार, अन्य अवकाश) भीड़ अधिक रहती है। याद रखें कि उद्यान रखरखाव के लिए सोमवार को बंद रहता है।
खाने -पीने का सामान उद्यान के अंदर ले जाना प्रतिबंधित है। कैमरा, मोबाइल, बच्चों के लिए दूध, छोटे पर्स ले जा सकते हैं। भीड़ अधिक होने पर cloak room में सामान जमा करना और प्राप्त करना भी श्रमसाध्य हो जाता है, अतः संभव हो तो प्रतिबंधित सामान न लेकर जाएं। पेयजल , बाथरूम, प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा अंदर भी उपलब्ध है।
गेट नंबर 34 से प्रवेश करने और सुरक्षा जांच होने के बाद हम सबसे पहले चिल्ड्रन पार्क में पहुंचते हैं। इस पार्क में बच्चों के झूले और कुछ चित्रकारी है। हालांकि इस पार्क में प्रवेश प्रतिबंधित है। इससे आगे जाकर नया विकसित किया हुआ ट्यूलिप गार्डन है। यहां पर ट्यूलिप की कुछ क्यारियों में ट्यूलिप के बल्ब पूरी तरह खिल गए हैं जबकि कुछ क्यारियों में अभी भी कलियां ही हैं। नीदरलैंड से आये हुए यह ट्यूलिप दिल्ली के कुछ भाग को कश्मीर बना देते हैं। चटक लाल रंग के ट्यूलिप इस समय पूरे शबाब पर हैं।
ट्यूलिप गार्डन के आगे जाकर बरगदों की लंबी कतार है। बरगदों की ऐसी कतार तो शायद अब किसी गाँव -देहात में भी देखने को न मिले। इस बाग में चारो तरफ दिन में भी शांति पसरी रहती है। रात में यह बाग कैसा लगता होगा, इसकी कल्पना भर की जा सकती है। अगर किसी गांव में यह बरगद-बाग होता तो निश्चय ही भूत-प्रेतों की कहानियां इस बाग से जोड़ दी गई होती। कोई भुलनवा भूत जरूर इसमें रहता जो लोगों को रास्ता भटकाता। इस बाग में भी जाना भी प्रतिबंधित है।
बरगद बाग से कुछ आगे जाकर डॉक्टर अब्दुल कलाम का प्रिय बोनसाई गार्डन है । यहां विभिन्न प्रकार के पेड़- पौधों के बोनसाई रूप (छोटे रूप) प्रदर्शित किए गए हैं। बोनसाई मानव निर्मित पौधों का एक विशिष्ट रूप तो है ही साथ ही फायदा यह कि विशाल पेड़ जिन्हें हम सिर्फ बाग बगीचों में देखते हैं, उन्हें हम अपने घर के गार्डन में, यहां तक कि बालकनी में भी सजा सकते हैं। यह हमारी सुविधा की बात है लेकिन मैं सोचता हूँ अपनी ही प्रजाति के बड़े पेड़ों, पौधों को देखकर यह बोनसाई क्या सोचते होंगे? शायद वही जो सामान्य मनुष्यों को देखकर बौने सोचते होंगे?? अपनी विशिष्टता(विरूपता) पर खुश होते होंगे या प्ल इस भेदभाव का उलाहना ईश्वर को देते होंगे???
यहां से आगे बढ़ने पर म्यूजिक फाउंटेन आता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस फाउंटेन की जल धाराएं संगीत की धुन के साथ नृत्य करती प्रतीत होती हैं। इसके पास कुछ देर रुककर उठती, गिरती, लहराती जल धाराओं का आनंद लिया जा सकता है।
म्यूजिक फाउंटेन से आगे बढ़ने पर राष्ट्रपति भवन के बिल्कुल पृष्ठ भाग में पहुंच जाते हैं । यहीं पर चारबाग स्टाइल में बना हुआ बाग है । इस बाग के मध्य में एक विशाल फव्वारा है और चारों तरफ बाग हैं। इन बागों में विभिन्न प्रकार के फूल लगाए गए हैं और बीच में पानी की नहरे हैं जिन पर पुल बनाये गए हैं। यह बाग अमृत उद्यान का मुख्य आकर्षण है। इसी बाग के नाम पर पहले अमृत उद्यान का नाम मुगल गार्डन था।
यहां से आगे बढ़ने पर एक खुले गलियारे से होकर गुजरना पड़ता है। इस खुले गलियारे के दोनों तरफ गुलाब की विभिन्न प्रजातियों के लाल, पीले, सफेद फूल लगाए गए हैं। मनमोहक गुलाब वाले इस गलियारे को गुलाब बाग भी कहा जा सकता है।
गुलाब बाग से आगे जाने पर एक गोलाकार बाग आता है। जिसके मध्य में एक फाउंटेन लगा हुआ है। इस गोलाकार बाग में चारो तरफ विभिन्न प्रकार , रंग और आकार के फूल लगे हुए हैं । चूंकि यह गोलाकार बाग राष्ट्रपति भवन की मधुमक्खीशाला (Apiary) के पास है , अतः यहां फूलों पर मंडराती हुई मधुमक्खियां स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं । वह अपने प्रिय फूलों से उनका रस एकत्र कर रही होती हैं। मधुमास में मधु बनने का पहला चरण देखना आंखों को सुहाता है।
गोलाकार बाग से बाहर आने के पश्चात खाने-पीने के विभिन्न स्टॉल हैं। इनमें आइसक्रीम , छोले भटूरे से लेकर भोजन की पूरी थाली तक उपलब्ध है। साथ ही यहाँ पर स्थित एक स्टॉल से राष्ट्रपति भवन के स्मृति चिन्ह ( sovunier) लिए जा सकते हैं । लकड़ी का छोटा और बड़ा अशोक स्तंभ , राष्ट्रपति भवन का प्रतिरूप, जैविक पेंसिल, टोपी, कप और अन्य सामान इस स्टॉल पर उपलब्ध हैं ।
पूरा अमृत उद्यान घूमने , भरपेट खाने पीने और इच्छा अनुसार अपनी पसंद का स्मृति चिन्ह लेकर आप सुंदर और मीठी यादों के साथ आप घर वापस लौट सकते हैं।
(विनय सिंह बैस)