डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला

(शब्दों में प्रतिदिन वृद्धि की जा रही है।)

शुद्ध शब्द हैं :–

आर्द्र, उद्दण्ड, कर्त्ता, कर्त्तव्य, कर्तृत्व, कर्त्तव्य, वार्त्ता, सान्निध्य, बहुव्रीहि, अन्त:स्थ, कार्यकर्त्ता, कार्यकर्त्री, क़ाबिलीयत, गृहिणी, वाङ्मय, विद्वज्जन, शुभेच्छु, पैतृक, क्षत्रिय, शख़्सीयत, आप्रवासी, अनिवासी, दीप प्रज्वलित, प्रज्वल, उज्ज्वल, पीयूष ।

एलान, रंग-विरंगे, नन्हे-मुन्ने, प्रविधान, आरोपित, जन्मतिथि, सौहार्द, मिष्टान्न भण्डार, एतिराज, बिलकुल (अरबी), करगिल, आईन:/आईना (फ़ारसी), स्रष्टा, द्रष्टा, करुणा, पंचतत्त्व, महत्त्व, शोचनीय, कमो बेश, प्रायश्चित्त, पश्चात्ताप, पाठ्येतर, अन्तरात्मा, अन्तरराष्ट्रीय, कैलास पर्वत, हरद्वार, साहित्येतर, शिक्षणेतर, साँठ-गाँठ, बीभत्स, उज्ज्वल, वापस, कवयित्री, सर्जन, शुश्रूषा, उद्विग्न, ऊँचाइयाँ, बढ़ोत्तरी, शोधच्छात्र, शाइर, फ़ित्रत, ज़ह्र, क़ह्र, बह्र, मज़्बूरी, मिहनत, इन्क़िलाब, रौशनी, महब्बत, फ़ासिला, फ़स्ल, दोगुणी, प्रत्युत्पन्नमति, जिजीविषा, विजिगीषा, श्रद्धाञ्जलि/श्रद्धांजलि, दीमक (फ़ारसी), सुषुप्ति, जागर्ति, जाग्रत्, के गणनानुसार, प्रवहमान ।

आद्यन्त, प्रामाणिक, परीक्षोपयोगी, सम-सामयिक, उच्चतम न्यायालय, परिषद्, कोंपल, आनुवंशिक, विद्यालयीय, जन्मे, जन्मी, कार्यालयीय, चारों ओर, क्रियान्वयन्, श्रीमति!, देवि! प्रियजन, बच्चो! बृहत्तर, अन्योन्याश्रित, परिशिष्ट, परिच्छेद, छ:, छियासठ, आकलन, मुहूर्त्त, वाग्वैदग्ध्य, जाज्वल्यमान, हस्तक्षेप, प्रत्यर्पण, क्षुद्र, ओलिम्पिक, प्रच्छालन, प्राक्कथन, ऐतिहासिक, सार्वजनीन, सान्निपातिकी, पारिस्थितिकी, गण्यमान्य, प्राणपण, अभिजात, आभिजात्य, चिहुँकना, लब्ध-प्रतिष्ठ, विशिष्ट ।

आशीर्वाद, आशीर्वचन, अनुशंसा, उपाय चतुष्टय, प्रवहमान, महब्बत (अरबी), दारोग़:/दारोग़ा (फ़ारसी), ज़बरदस्त (फ़ारसी), मुहूर्त्त, दुकान (फ़ारसी), क़ह्र, ज़ह्र (फ़ारसी), ज़ेह्न (अरबी), पर्द:/पर्दा (फ़ारसी), परीशाँ (फ़ारसी), एहसास, गृहस्थी, गृहिणी, गार्हस्थ्य, एहसास (अरबी), ख़याल (अरबी), बरदाश्त (फारसी; स्त्रीलिंग), बरात।