
“पूर्ण शिक्षित रहने वाला सनातन राष्ट्र पूर्ण अशिक्षित और बेरोजगार ‘हिन्दूराष्ट्र’ में परिवर्तित कैसे हुवा?”
अब से लगभग 4000 वर्ष पूर्व तक धरती पर एकमात्र सनातन धर्म ही व्याप्त था।
ज्ञान और गुण प्राप्ति हेतु समुचित शिक्षा और प्रशिक्षण ही जिसका ब्रह्मचर्य आश्रम था।
और रोजगार की प्राप्ति ही जिसका गृहस्थ आश्रम था।
शिक्षा और रोजगार की व्यवस्था जैसे-जैसे दुर्जनों द्वारा हटाई गई सत्ज्ञान घटता गया, अज्ञान बढ़ता गया लोग सत्मार्ग से च्युत होने लगे।
सनातन वर्णाश्रम व्यवस्था का सात्त्विक स्वरूप भंग होने लगा।
अशिक्षित अज्ञानियों ने वर्णव्यवस्था के स्थान पर जातिव्यवस्था बैठा दी और सात्त्विक आश्रम व्यवस्था के स्थान पर विश्राम व्यवस्था थोप दी।
जिसने ब्रह्मचर्य आश्रम का 25 वर्षीय विद्यार्थीजीवन खत्म कर दिया।
लोग अशिक्षित और बेरोजगार होने लगे। धीरे-धीरे पूरा देश गवाँर और गरीब हो गया।
“पूर्ण शिक्षित रहने वाला सनातन राष्ट्र पूर्ण अशिक्षित और बेरोजगार हिन्दूराष्ट्र में परिवर्तित हो गया।”
अशिक्षा के कारण ही यह ज्ञान-विज्ञान के शिखर को स्पर्श करने वाला देश ज्ञान-विज्ञान और धन-संपत्ति में भी पूरी तरह पिछड़ता चला गया। अशिक्षा और बेरोजगारी ही इस देश की बर्बादी का मूल कारण बनी।
अतः सुशिक्षित और समृद्ध व्यक्ति ही सनातनी है अशिक्षित या कुशिक्षित और बेरोजगार ही वर्तमान हिन्दू है।
स्पष्ट है कि यदि इस देश में सुशिक्षा और स्वरोजगार का प्रसार हुआ तो वर्तमान हिंदूधर्म नष्ट हो जाएगा और अपना प्राचीन सनातनधर्म उभर आएगा।
इसीलिए कोई भी हिंदूवादी सरकार कभी इस देश की जनता को सुशिक्षित-स्वरोजगारी नहीं बना सकती।
इसलिए भाजपा सरकार राजकोष से 25% शिक्षाबजट और प्रत्येक नागरिक को 25 वर्ष तक निःशुल्क और अनिवार्य अबाध शिक्षा सुलभ कराने और 25% रोजगारबजट द्वारा जनता को न्यायोचित स्वरोजगार उपलब्ध कराने सहमत नहीं है जबकि न्यायधर्मसभा दशकों से इन्हें यह न्यायप्रस्ताव लगातार दे रही है। परंतु ये पूरी तरह से घुप और चुप हैं।
✍️???????? (राम गुप्ता, स्वतंत्र पत्रकार, नोएडा)