आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला
••••••••••••••••••••••••••
★ परिक्षा– इस ‘परिक्षा’ शब्द की वर्तनी (अक्षरी) देखते ही कोई भी सुस्पष्ट शब्दोँ मे कह देगा– यह जो ‘परिक्षा’ शब्द दिख रहा है, पूरी तरह से ग़लत है; क्योंकि ‘र’ मे ह्रस्व इ (छोटी इ) की मात्रा लगेगी। इसमे कहनेवाले का दोष नहीँ है; क्योँकि ‘परिक्षा’ शब्द का प्रयोग होते कदाचित् कहीँ देखा गया हो। हाँ, हमारी इस पाठशाला मे ‘परिक्षा’ शब्द पर अनेक बार विचार करते हुए, उसका व्याकरणिक विश्लेषण किया गया है। कुछ वर्ष पहले उत्तरप्रदेश लोकसेवा-आयोग-द्वारा आयोजित समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी की परीक्षा के ‘सामान्य हिन्दी’-विषय के प्रश्नपत्र मे इस शुद्ध शब्द को ‘अशुद्ध’ बताया गया था, जो कि पूरी तरह से ग़लत है। अब इसे भलीभाँति समझें।
‘परिक्षा’ संस्कृत-भाषा का शब्द है। यह शब्दभेद के विचार से विकारी शब्द के अन्तर्गत ‘संज्ञा’ का स्त्रीलिंग का शब्द है। व्याकरण का एक प्रमुख अंग ‘समास’ है, जिसका एक भेद ‘तत्पुरुष’ है। यह ‘परिक्षा’ उसी तत्पुरुष के एक उपभेद ‘प्रादि तत्पुरुष’ का एक प्रकार है। इस ‘परिक्षा’ का अर्थ ‘कीचड़’, ‘पंक’ तथा ‘गीली मिट्टी’ है। अब इस ‘परिक्षा-विश्लेषण’ के पश्चात् इसकी शुद्धता के प्रति किसी को शंका और भ्रम नहीं होना चाहिए। हमारे मानक कोश भी इसका प्रतिपादन (प्रमाण प्रस्तुत करते हुए, किसी बात को सिद्ध करना।) करते आ रहे हैँ।
★ परीक्षा– उपर्युक्त परीक्षा मे ‘परिक्षा’ और ‘परीक्षा’ मे से किसी एक को शुद्ध बताने के लिए प्रश्न किया गया था, जबकि दोनो ही शुद्ध हैँ। ‘परिक्षा’ की शुद्धता से आप अवगत हो चुके हैं। हमने यहाँ ‘परीक्षा’ की शुद्धता पर विचार किया है। ‘परीक्षा’ भी संस्कृत-भाषा का शब्द है। शब्द-भेद की दृष्टि से ‘परीक्षा’ ‘संज्ञा’ का स्त्रीलिंग-शब्द है। ‘परीक्षा’ के पूर्व मे जो ‘परि’ उपसर्ग लगा है, उसका यहाँ अर्थ ‘अच्छी तरह से’/ ‘भली प्रकार से’ है। ‘परीक्षा’ मे जिस धातु का प्रयोग है, वह ‘ईक्ष्’ धातु है, जिसका अर्थ ‘देखना’ है। अब उपसर्ग और धातु के योग से ‘परीक्ष’ शब्द की रचना होती है। इसे पूर्णता तक पहुँचाने के लिए ‘अ’ और प्रत्यय के उचित सूत्र के आधार पर ‘टाप्’ प्रत्यय का योग होगा। इस प्रकार ‘परीक्षा’ शब्द का सर्जन होता है। ‘परीक्षा के अनेक प्रकार हैँ :– १– योग्यता, गुण, सामर्थ्य इत्यादिक की परख करने के लिए ‘परीक्षा’ की जाती है। २– वस्तुओँ के सम्बन्ध मे उसकी उपयोगिता और स्थायित्व की परख करने के लिए ‘परीक्षा’ की जाती है। उदाहरण के लिए– यहाँ शुद्ध पनीर मिलता है; परीक्षा प्रार्थित है।)
◆ ‘आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला’ नामक पुस्तक से सकृतज्ञता गृहीत।)
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ८ नवम्बर, २०२४ ईसवी।)