मेरी आँखों का काजल चुराओ तो जानें

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

मेरे ज़ख़्मों की तासीर बताओ तो जाने,
मेरे ख़्वाबों की ताबीर बताओ तो जाने?
तुम्हारे फ़न का कायल है ज़माना सारा,
मेरी आँखों का काजल चुराओ तो जाने ?
मेरी उल्फ़त बिनब्याही ही फ़ना होती रही,
मेरी माशूका की तस्वीर बनाओ तो जाने?
एतिबार कर उसे सौंप दिया था सब कुछ,
चुरायी किसने जागीर बताओ तो जाने?
एहतियात से उसे अमानत बनाके रखा था,
ख़यानत किसने की, बताओ तो जाने?
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १० जुलाई, २०२० ईसवी)