प्रेम की आस

गुड़िया कुमारी, पूर्णिया बिहार ✍️✍️

अभी तो बस नैन से नैन की बात हुई है
दिल से दिल की मुलाकात बाकी है ।
इश्क़ की शुरुआत बाकी है
हर वो अधूरी बात बाकी है ।

अभी तो अंधेरी रात है
उजाला आना बाकी है ।
तोड़ तोड़ के तारे को
एक कंठहार बनाना बाकी है ।
उंगलियों में लपेट के प्रेम धागों को अभी तो एक अटूट गाँठ बनाना बाकी है।।

सितारों से माँग सजाकर
अहसासों का माँग-टीका लगाना बाकी है ।
जब होंगे एक दूजे के हम करने को ढेरों बात बाकी है ।

अभी तो बस साथ मिला है जिंदगी के सफर में हमसफ़र होना बाकी है ।
अभी तो बस प्रेम हुआ है
मुक्कमल होना बाकी है ।