आजमाने की उन्हें जरूरत होती है जिन्हें यकीं नहीं होता

राजेश पुरोहित भवानीमंडी, जिला झालावाड़, राजस्थान


ढलेगी रात अंधियारी, सुबह फिर सूरज निकलेगा।
जो ख्वाबों में दिखा तुमको, वह हकीकत में दिखेगा।।

घर घर की कहानी वही पीढ़ी का अंतर देखा।
नई पीढ़ी चाहे आज़ादी,पुरानी को मर्यादा में देखा।।

जमाने के डर से कलमवीर कहाँ डरते हैं।
लिखते है सच्चाई हर पल ,जमाने को हकीकत दिखाते हैं।।

किताबें लिखने वाले उपहार देकर खत्म करते हैं।
क्यों सोचते हो इतना लिखने की चलो शायरी लिखते हैं।।

आजमाने की उन्हें जरूरत होती है जिन्हें यकीं नहीं होता।
हम तो अजनबी को भी यकीं कर पासवर्ड बता देते हैं।।

घर घर की कहानी वही पीढ़ी का अंतर देखा।
नई पीढ़ी चाहे आज़ादी,पुरानी को मर्यादा में देखा।।

नहीं कमी है तुझ में ,तू कर बुलन्द खुद को।
खुदी में खुदा है, सिर्फ जान ले उसको।।

ख्वाब रेत के घर जैसे है , कब बिखर जाये पता नहीं।
बस आंधियों को थामने का हुनर होना चाहिए।।

आंखों से सारे जगत की सच्चाई देखिए।
बुराई देखने वालों की गिनती नहीं ये भी सोचिए।।

गजरा लाने की कहते हो, कजरा लाने की कहते हो।
बीमार माँ के लिए तुम , पहले दवा तो ला दो।।

कलाई चूड़ियों से सजी, तिरंगे के रंग में।
मन मे नई उमंग जगी, तिरंगे के संग में।।

पग महावर से सजे, हिना सजे हथेली पर।
दिल में पिया की तस्वीर सजे, कैसे कहूँ सहेली पर।।

लोग चाँद के दीदार को बडी बात समझते हैं।
हम तो सुबह सूर्य नमस्कार कर खुशी से जी लेते हैं।।

चाँदनी की शीतलता पहले जैसी है
बस चाँद देखने का नजरिया बदला है

नजर न पड़े तो दुख,नज़र लग जाये तो और दुख।
नज़र चुरा ले तो ज्यादा दुख,नज़र से नज़र मिल जाये तो जीवन भर दुख।।

खुशनसीबी और दोस्ती दोनों साथ मिले।
काश ऐसा भाग्य हम सबको भी मिले।।

काश मजहब न होता इंसान से इंसान मिलता।
कितना प्यार बढ़ता काश व्यर्थ बंधन न होता।।

चाँद बन के ईद के कभी कभी नज़र आये।
जब भी नज़र आये दिल लूटते नज़र आये।।