हिमाचल गान

उच्च हिमालय, बहती नदियां
कल-कल करती
झरनों की आवाजें।
फैली हरियाली, सुगंधित सुमन
महके समीर, बहकी कलियाँ
ऐसी गोद हिमाचल की।
जय जय जय हिमाचल की।

ऊंचे वृक्ष, नीची नदियां
कर्कश ध्वनि करती चट्टाने
चहकते पक्षी, महकती फसलें
सरसराहट करता पानी।
गरजते बादल, बरसते घन
ऐसी गोद हिमाचल की।
जय जय जय हिमाचल की।

बाल ग्वाल, लाल गाल
मदमस्त धूप, अनंत गगन
मीठी बातें, ठंडी रातें।
धौलाधार की श्रंखलाएँ
देवों की भूमि, सनातन की आन
ऐसी गोद हिमाचल की।
जय जय जय हिमाचल की।

डॉ.राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश