बढ़ गए जीवन में तो
उड़ते रहोगे
जीवंत पक्षी की तरह।
नहीं तो टूट कर
बिखर जाओगे
किसी शाख के
मुरझाये पत्ते की तरह।
जीवंत हो तो
जीना पड़ेगा
सूर्य चांद की तरह।
नहीं तो पड़े रहोगे
श्मशान की
जली-बुझी हुई
राख की तरह।
जीवंत हो तो
महकते रहोगे
किसी सुगंधित
फूल की तरह।
नही तो मुरझा जाओगे
किसी टूटे-बिखरे
फूल की तरह।
डॉ० राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश