कविता – मातृ भाषा हिंदी

नेहा द्विवेदी-


जनता की ये जुबां है, भावों का आसमां है ।

मातृ भाषा हिंदी भारत की आत्मा है ।

अगणित भाषा वाले हिंद की पहचान है हिंदी

मां भारती की शान है, सम्मान है हिंदी ।

वतन के वास्ते जो शहीद हो गये,

उनका अमोघ त्याग है बलिदान है हिंदी ।

जाति, मजहबों का इससे न वास्ता,

गूँजे सभी लबों पर वह गान है हिंदी ।

जिससे दहल उठी थी गोरों की हुकूमत,

ऐसी प्रचंड क्रान्ति है,  तूफान है हिंदी।

जिसके लिए विश्व में हम जाने जाते हैं,

उस ज्ञान-विज्ञान का अभिमान है हिंदी ॥