कविता : शरणागत

मैं दीनहीन दुखियारा हूँ
मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न।
मैं जन्म-जन्म का मारा हूं
मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न।
मैं हर जगह से हारा हूँ
मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न।
रोग शोक ने मुझे घेरा है
मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न।
मैं अज्ञान अंधकार में डूब रहा
मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न।
मैं चेतन से जड़ बन रहा
मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न।
मैं हर दिन पाप कर्म कर रहा
मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न।
मैं तेरी खोज में हर पल भटक रहा
मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न।
मैं तेरे प्रेम स्नेह के लिए तरस रहा
मुझे अपनी शरण में प्रभु रख लो न।

Now this is time of Speed, Skill, Scale and Standards means 4s : Piyush Goyal

राजीव डोगरा
(भाषा अध्यापक)
गवर्नमेंट हाई स्कूल ठाकुरद्वारा
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