प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने टोक्यो-ओलिम्पिक में भाग लेनेवाले खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

देश का प्रधानमन्त्री यदि अपने प्रमुख खिलाड़ियों के साथ संवाद करता है तो वह खिलाड़ियों का उत्साहवर्द्धन करने के लिए ‘संजीवनी’ का काम करता है। इससे खिलाड़ियों को प्रेरणा प्राप्त होती है और उनके प्रदर्शन में एक विशेष प्रकार का निखार आता है।

१३ जुलाई, २०२१ ई० को आन्तर्जालिक श्रव्य-दृश्य के माध्यम से देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने २३ जुलाई से जापान की राजधानी ‘टोक्यो’ में वर्ष २०२० के ओलिम्पिक-खेलों में भाग लेने के लिए जानेवाले महिला-पुरुष खिलाड़ियों के साथ जिस प्रकार का प्रेरणाप्रद संवाद किया था, वह निस्सन्देह, खिलाड़ियों का मस्तक उन्नत करने में सहायक सिद्ध होगा। इसके लिए प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी साधुवाद के पात्र हैं।

प्रधानमन्त्री को सम्बन्धित खेल और खिलाड़ियों के विषय में इतने तथ्य उपलब्ध करा दिये गये थे कि वे जिस शैली में खिलाड़ियों के साथ संवाद कर रहे थे, उससे प्रतीत हो रहा था, मानो प्रधानमन्त्री प्रत्येक खेल के विशेषज्ञ हों। वे एक ‘पत्रकार’ की भूमिका में भी दिख रहे थे। इतना ही नहीं, बैडमिण्टन-खिलाड़ी पी० वी० सिन्धु के पिता के साथ उनकी भेंटवार्त्ता उत्साहवर्द्धक रही। प्रधानमन्त्री ने स्पष्ट किया कि सभी खिलाड़ी बिना किसी दबाव के अपना १०० प्रतिशत दें।

उन्होंने कई खिलाड़ियों से बातें करते हुए उनमें जोश भरा था, उनमें दीपिका कुमारी, प्रवीण, आशीष, दुतीचन्द, मैरी कॉम, पी० वी० सिन्धु, एलाविनेल, सौरभ चौधरी, शरत कमल, सानिया मिर्ज़ा, श्रीहरि नटराज, नीरज चोपड़ा आदिक थे।

उल्लेखनीय है कि नरेन्द्र मोदी ने यह कोई नयी शुरुआत नहीं की थी, बल्कि उनके पूर्व के सभी प्रधानमन्त्रियों ने ओलिम्पिक-खेलों में भागीदारी करनेवाले खिलाड़ियों को निमन्त्रित कर उनका विधिवत् सम्मान किया था। कितना श्रेयस्कर रहता यदि नरेन्द्र मोदी खिलाड़ियों को दिल्ली बुलाकर उनके साथ भोजन करते और उन्हें सम्मानित करते। इससे यह भी संकेत मिलता है कि यह उनकी प्राथमिकता में नहीं था। कारण जो भी रहा हो; किन्तु ‘कोविड-१९’ के संक्रमण का ख़तरा तो कदापि नहीं कहा जा सकता। ऐसा यदि रहता तो नरेन्द्र मोदी १५ जुलाई, २०२१ ई० को वाराणसी जाकर भीड़ के साथ सत्संग नहीं कर रहे होते।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १६ जुलाई, २०२१ ईसवी।)