देहरादून मे शुद्ध भाषा का अलख जगाते, आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
देश के शीर्षस्थ निजी शिक्षण-संस्थानो मे से एक देहरादून (उत्तराखण्ड) मे स्थित अँगरेज़ी-माध्यम के विद्यालय वैल्हम गर्ल्स स्कूल की ओर से गत दिवस उसके ‘ऑडियो-विजुअल सेण्टर’ मे ‘एकदिवसीय राष्ट्रीय भाषिक कर्मशाला का आयोजन किया गया। कर्मशाला के मार्गदर्शक एवं मुख्य अतिथि व्याकरणाचार्य एवं भाषाविज्ञानी प्रयागराज के आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने दीप-प्रज्वलन करते हुए, कर्मशाला का उद्घाटन किया; तत्पश्चात् मुख्य अतिथि, विद्यालय की प्रधानाचार्य विभा कपूर एवं विशिष्ट अतिथि विनय पाण्डेय ने सरस्वती को माला धारण कराकर आशीर्वाद ग्रहण किया। उस विद्यालय की छात्राओँ ने सरस्वती-वन्दना कर वातावरण को सारस्वतमय बना दिया था।
कर्मशाला की संयोजिका एवं संचालिका, वैल्हम गर्ल्स स्कूल की हिन्दी-विभागाध्यक्ष डॉ० नालन्दा पाण्डेय ने अतिथियोँ का समुचित परिचय प्रस्तुत किया।
कर्मशाला मे मंचस्थ अतिथियोँ एवं विभिन्न राज्योँ से प्रशिक्षणार्थी के रूप मे आये हुए अध्यापिका-अध्यापकवृन्द का स्वागत करते हुए, वैल्हम गर्ल्स स्कूल की प्रधानाचार्य विभा कपूर ने कहा, ”यह हमारा ऐतिहासिक आयोजन है, जोकि देश के अन्य अँगरेज़ी-माध्यमवाले विद्यालयोँ के लिए प्रेरणा का काम करेगा। मै फ्रेंच भाषा को जानती हूँ, बावुजूद मुझमे हिन्दी-भाषा सीखने के प्रति ललक है। हम पहली बार देख रहे हैँ कि इस आयोजन मे निजी और शासकीय विद्यालयोँ की इतनी बड़ी संख्या मे भागीदारी है, जोकि इस बात का प्रमाण है कि आपके भीतर की हिन्दी सीखने की इच्छा आपको यहाँ तक खीँच लायी है।”
अगले वक्ता के रूप मे विशिष्ट अतिथि विनय पाण्डेय ने कहा, “भाषा एक माध्यम है, जिसके द्वारा हम अपनी भावना और विचार व्यक्त कर पाते हैँ। भाषा-व्यवहार करते समय उसमे शुद्धता रहे तो उचित रहेगा।”
मुख्य अतिथि आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने बताया, ”हम सबके लिए गर्व और गौरव का विषय है कि देश का एक ख्याति-लब्ध विद्यालय वैल्हम गर्ल्स स्कूल अँगरेज़ी-माध्यम होते हुए भी यहाँ की देविस्वरूपा प्रधानाचार्य सम्मान्या विभा कपूर जी का लैटिन-भाषा का अध्यापन करते हुए भी हिन्दीभाषा के प्रति अनुकरणीय अनुराग है। इस विद्यालय की हिन्दी के प्रति समर्पण, श्रद्धा एवं भक्ति तब चरम पर पहुँचती हुई दिखी जब प्रधानाचार्य जी का संकल्प इस रूप मे दिखा– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय को हमारे विद्यालय मे किसी मूल्य पर आना ही है। यह उत्कट् इच्छाशक्ति विरले ही दिखती है।”
इस उद्गार के शीघ्र पश्चात् कर्मशाला प्रारम्भ हो गयी।
मार्गदर्शक की भूमिका मे आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने आरम्भ मे ‘कार्यशाला’ और ‘कर्मशाला’ मे अन्तर सुस्पष्ट करते हुए, ‘कार्यशाला’ शब्द को अनुपयुक्त ठहराया। उन्होँने ‘सर, मैडम, मैम’ के स्थान पर सकारण ‘महोदय, महोदया’ के प्रयोग को सार्थक बताया। हिन्दी मे वाक्य-गठन कैसे किया जाता है; उच्चारण और लेखन-स्तर मे कैसे अन्तर आते ही अशुद्धि हो जाती है; कौन-सा शब्द अशुद्ध है और शुद्ध है; पर्याय शब्दोँ मे तात्त्विक अन्तर को कैसे समझेँगे; और, एवं तथा का प्रयोग : कब कहाँ; कुछ प्रमुख विरामचिह्नो का प्रयोगबोध, संधि, धातु, प्रत्यय, उपसर्ग मिलकर कैसे खेल खेलते हैँ; का, की, के; ना, नी, ने; रा, री, रे के प्रयोग-पहचान, स्वर, व्यंजन की पूर्णता और अपूर्णता; ‘र’ का वर्गीकरण; मात्रा एवं ध्वनि-विज्ञान; तालव्य, मूर्द्धन्य, दन्त्य उच्चारण आदिक के सम्यक् बोध कराये। इनके अतिरिक्त शताधिक शब्दोँ का कारणसहित शुद्ध अर्थ, प्रयोग एवं उच्चारण का संज्ञान कराया।
कार्यक्रम के समापन-चरण मे मुख्य अतिथि आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एवं विद्यालय-प्रधानाचार्य विभा कपूर ने समस्त प्रशिक्षार्थियोँ को सहभागिता-प्रमाणपत्र और उपहार भेँट किये। इसी क्रम मे विद्यालय-प्रधानाचार्य ने मुख्य अतिथि को नारिकेल, शॉल तथा स्मृतिचिह्न भेँटकर उनका सम्मान किया। अन्त मे, राष्ट्रगान-गायन करके कर्मशाला सम्पन्न घोषित किया गया।