आंतरिक गुलाम

आजाद हुए हम गैरों से
मगर अभी नही हुए औरों से।
जीत चुके हैं हम औरों से
मगर हारे हुए हैं
अभी अपने विचारों से।
छोटे को बड़ा, बड़े को छोटा
समझना अभी छोड़ा नहीं।
जाति-पांति के कठोर नियमों से
मुख भी अभी मोड़ा नहीं।
क्षितिज से आर जीवन से पार
अभी कुछ देखा नहीं।
धर्म; कर्म के नाम पर शोषण
अभी तक छोड़ा नहीं।
जीवन के तराजू पर
कभी खुद को तोला नही।
मोहब्बत के नाम पर शोषण
अभी तक छोड़ा नहीं।

डॉ. राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता- गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश