● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
‘केंद्रीय हिंदी निदेशालय’ की मानकीकरण की लघु पुस्तक मे उसी के द्वारा तैयार कराये गये मानक शब्दोँ, वर्तनी, चिह्नादिक की इतनी अशुद्धियाँ हैँ कि तीन हज़ार शब्दोँ से अधिक के समीक्षा-लेखन करने के बाद भी ‘हनुमान् की पूँछ’ की तरह से अशुद्धि का सिलसिला थमने का नाम नहीँ ले रहा है। ऐसा लगता है, पूरी एक पुस्तक सार्वजनिक हो जाये। कथित निदेशालय के निदेशक-सहित विशेषज्ञसमिति के सारे सदस्यासदस्य के कृत्य आपराधिक कोटि मे आ रहे हैँ। इन सबको न्यायालय के कठघरे मे खड़ा करने की आवश्यकता है।
अब मै इसे दो भागोँ मे अति शीघ्र सार्वजनिक करूँगा।