वास्तव में एक महान् आत्मा थे, गांधी जी

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

गांधी जी को अपशब्द कहनेवालो!

बापू एक वस्त्रधारी थे; महँगे जैकेट और घड़ी नहीं पहनते थे; झूठ बोलकर देश को लूटते नहीं थे। कस्तूर बा की हर आह-संवेदना में एकान्वित; एकरूप-तद्रूप रहे; एकपत्नीव्रती रहे; विश्वासघात नहीं किये; देश की आन पर आत्मार्पित कर गये। थोड़ा-बहुत कहीं से पढ़कर लांछन लगाना पापकर्म है।

महात्मा जी वस्तुत: ‘महात्मा’ थे। पराधीन भारतीयों को स्वाभिमानपूर्वक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया, जिसके लिए वे कितनी बार अपमानित किये गये थे। भारत राष्ट्र के स्वाभिमान-रक्षण के लिए उन्होंने न जाने कितनी बार आमरण अनशन किये थे।

देश का विभाजन परिस्थितिजन्य था। इस विषय पर बापू को दोषी ठहराना तर्कसंगत नहीं है। तत्कालीन परिस्थितियों का अध्ययन-अनुशीलन तथा गवेषणा करने के पश्चात् ही किसी निष्पत्ति की ओर बढ़ना चाहिए; फिर जो उस समय पैदा ही नहीं हुए थे, उन्हें प्रणम्य महामानव और दिव्य पुरुष के प्रति प्रतिकूल टिप्पणी करने से बचना होगा।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २ अक्तूबर, २०२१ ईसवी।)