सिने-संसार का निराला व्यक्तित्व– आभास कुमार गांगुली उर्फ़ किशोर कुमार

आज (४ अगस्त), जिनकी जन्मतिथि है

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

० ”ज़िन्दगी का ये सफ़र है ये कैसा सफ़र,
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं।”

उनका नाम था ‘आभास कुमार गांगुली’। १९४६ ईसवी में ‘शिकारी’ फ़िल्म में अभिनय करते हुए, उन्होंने सिने-संसार में प्रवेश किया था और फ़िल्म ‘ज़िद्दी’ से पार्श्व-गायन की यात्रा आरम्भ की थी।

वे अभिनय और गायन के क्षेत्र में एक सम्पूर्ण शास्त्र थे। फ़िल्मी दुनिया में आने के बाद वे आभास कुमार से ‘किशोर कुमार’ बन गये। किशोर जी विलक्षण प्रतिभा-संपन्न थे |
अब आइए, उनके बहुआयामिक सांगीतिक मेधाशक्ति से परिचित हो लें :——-

० बेक़रारे दिल तू गाये जा, खुशियों से भरे वो तराने।
० वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है।
० अगर सुन ले तो इक नगमा हुज़ूरे यार लाया हूँ।
० घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं।
० मेरे सपनों की रानी कब आयेगी तू,
आई रुत मस्तानी कब आयेगी तू।
० इक चतुर नार बड़ी होशियार,
अपने ही जाल में फँसत जात।
० मेरे महबूब क़यामत होगी,
आज रुसवा तेरी गलियों में मुहब्बत होगी।
० कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ४ अगस्त, २०२० ईसवी)