आज ‘हिन्दीपत्रकारिता-दिवस’ (तिथि) है

आज (३० मई) ‘हिन्दीपत्रकारिता-दिवस’ है। इसमें संशोधन करते हुए, आज के दिन को ‘हिन्दीपत्रकारिता-तिथि’ कहना ही युक्ति-युक्त है; कारण कि ३० मई, १८२६ ई० को हिन्दी का प्रथम समाचारपत्र ‘उदन्त मार्त्तण्ड’ का प्रकाशन कलकत्ता में ‘कोल्हू टोला’ नामक मुहल्ले के ‘३७ नम्बर अमड़ा तल्ला गली’ से हुआ था। उल्लेखनीय है कि उस तिथि में ‘सोमवार’ का दिन था; किन्तु आज ‘रविवार’ है। वैसे भी ‘जन्मतिथि’ का आधार कभी ‘दिन’ नहीं हो सकता। इस तर्क और तथ्य के आधार पर देश में ‘हिन्दीपत्रकारिता-तिथि’ का आयोजन होना चाहिए; परन्तु ‘दिवस’ का प्रयोग कर उसे रूढ़-रूप दे दिया गया है।

एक स्वस्थ और तटस्थ पत्रकारिता मेरी रग-रग में है; कई समाचारपत्र-पत्रिकाओं-प्रतियोगी पत्रिकाओं का सम्पादक रहा; पत्रकारिता-संस्थानों, फ़ीचर और समाचार-अभिकरणों का निदेशक भी। एक अध्येता के रूप में पत्रकारिता के किसी भी क्षेत्र का संस्पर्श करने से वंचित नहीं रहा।

देश-देशान्तर में मेरे विद्यार्थी अपने पत्रकारिता-ज्ञान का विविध माध्यम से वितरण कर रहे हैं; प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।

पत्रकारिता-विषयक जितनी कृतियों का जिस समग्रता और विविधता के साथ प्रणयन करना चाहता था, नहीं कर पाया। देश के प्रकाशकों ने जब अवसर दिये थे तब मेरी प्राथमिकताएँ अन्य विषयों की ओर थीं। वैसे, अवसर मेरी मुट्ठी में है, जबकि आज भी प्राथमिकताएँ कुछ और हैं, जो कि समय-सत्य हैं।

इस अवसर पर उन पूर्ववर्ती पण्डित (ज्ञानी) पत्रकारों का, जिन्होंने पत्रकारिता को एक ध्येय, एक उद्देश्य तथा एक लक्ष्य स्वीकार करते हुए, अपने पत्रकारीय संज्ञान का बहुविध परिचय दिया था, अपनी पत्रकारिता-विषयक उपलब्ध कतिपय पुस्तकों– ‘चमत्कार ‘सञ्चार’ के’, ‘मीडिया– दृष्टि और सन्दर्भ’, ‘साक्षात्कार– विधा और सन्दर्भ’, ‘पत्रकारिता– परिवेश और प्रवृत्तियाँ’, ‘मीडिया– आयाम और प्रतिमान’, ‘जनसंचार– दृश्य-परिदृश्य’ तथा ‘मीडिया और प्रेस-विधि’ के साथ उनका नमन करता हूँ।