‘आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला’ नामक कृति–

पुस्तक के विषय मे :–

  इस पुस्तक के अन्तर्गत एक-एक शब्द मे जितनी भी व्याकरणीय सम्भावनाएँ हैं, उन सबका शास्त्रीय शैली मे विश्लेषण रहेगा, जो देश के समस्त विद्यार्थी- अध्यापकवृन्द, प्रबुद्धजन तथा सम्बन्धित अन्य जन के लिए 'अभूतपूर्व' होगी।
 पुस्तक लगभग २०० पृष्ठों की होगी, जिसे 'विद्यार्थी-संस्करण' (अज़िल्द/पेपर बैक) के रूप मे स्वयं प्रकाशित करूँगा और देश के बहुसंख्य विद्यार्थियों-अध्यापकों तक पहुँचाऊँगा। पुस्तक का मूल्य ऐसा निर्धारण करूँगा कि किसी को भी क्रय करने मे असहजता का अनुभव न हो।
  क्रय होने की स्थिति को समझने के पश्चात् इस पुस्तक की विषय-वस्तु को अनेक भागों मे मुद्रित कराऊँगा; क्योंकि शब्द 'अनन्त' हैं।
उक्त पुस्तक शुद्धाशुद्ध शब्दों से सम्बन्धित रहेगी, जिसके प्रत्येक अध्याय मे एक-दूसरे से मिलते-जुलते हुए शब्दों की व्युत्पत्ति, उनके समान और भिन्न अर्थ, उनकी अवधारणा, परिभाषा, उदाहरण, उनके साथ जुड़े हुए अन्य शब्दों की रचना-प्रक्रियाओं तथा सम्बन्धित शब्दों के समस्त व्याकरणीय अंगोपांगों पर सार्थक विश्लेषण रहेंगे।
◆ जिस किसी विद्यार्थी, अध्यापक, अन्य हिन्दीप्रेमी, हिन्दीसेवी आदिक को 'मूल्य देकर' पुस्तक को प्राप्त करना हो, वे यहाँ अपनी 'सुदृढ़ इच्छा: व्यक्त कर सकते हैं, तत्पश्चात् धनराशि प्रेषित करने के 'माध्यम' से अवगत कराया जायेगा।

◆ पुस्तक की विक्रय-संख्या का एक अनुमान प्राप्त हो जाने के अनन्तर उसी संख्या मे पुस्तक का मुद्रण और प्रकाशन होगा।
◆ पुस्तक मुद्रित हो जाने के बाद निबन्धित (रजिस्टर्ड) ‘डाकसेवा’ वा ‘कूरियरसेवा’ के माध्यम से पुस्तक गंतव्य के लिए प्रेषित की जायेगी। उसके लिए किसी से भी ‘अतिरिक्त शुल्क’ नहीं लिया जायेगा।
◆ पुस्तक की विषय-वस्तु किस प्रकार की रहेगी, उसके लिए हमने नीचे एक प्रतिदर्श (नमूना) प्रस्तुत किया है।
जिस किसी भी व्यक्ति को उक्त पुस्तक को क्रय करके अध्ययन करने के प्रति रुचि हो, वे सम्पर्क कर सकते हैं :–
९९१९०२३८७० (9919023870)– ह्वाट्सऐप्प-संख्या
८७८७००२७१२ (8787002712)