युवा लेखक राम वशिष्ठ द्वारा लखीमपुर और धौरहरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का विश्लेषण

राम वशिष्ठ :

लखीमपुर खीरी जिले में दो संसदीय क्षेत्र है एक लखीमपुर और दूसरा धौरहरा संसदीय क्षेत्र । लखीमपुर खीरी जिले में आठ विधान सभा क्षेत्र है । लखीमपुर , गोला गोकर्णनाथ , पलिया , श्रीनगर , निघासन , कस्ता , धौरहरा और मोहम्मदी । जिनमें से पांच विधान सभा सीटों से लखीमपुर संसदीय क्षेत्र बना है और धौरहरा , कस्ता , मोहम्मदी के साथ सीतापुर जिले की हरगांव और महोली विधान सभा सीट को शामिल करके धौरहरा संसदीय क्षेत्र बना है । लखीमपुर सीट पर 29 अप्रैल को मतदान हुआ था और धौरहरा सीट पर आज यानि 6 मई को मतदान हुआ है ।

दोनों सीटों पर भाजपा और कांग्रेस ने अपने 2014 के प्रत्याशियों पर ही दांव खेला हैं । गठबंधन में लखीमपुर खीरी सपा और धौरहरा बसपा के खाते में गई है । इन दोनों सीटों पर भाजपा का कब्जा हैं लेकिन 2009 में ये दोनों सीट कांग्रेस के पास थी । इस बार भाजपा ने खीरी से सिटिंग सांसद अजय मिश्र टेनी को और धौरहरा से रेखा वर्मा को मैदान में उतारा है । कांग्रेस ने खीरी से जफर अली नकवी और धौरहरा से जितिन प्रसाद को टिकट दिया है । सपा ने खीरी से अपने राज्यसभा सांसद रवि प्रकाश वर्मा की बेटी डॉ0 पूर्वी वर्मा को टिकट दिया है और धौरहरा से बसपा ने अरशद इलियास सिद्दीकी को टिकट दिया है । धौरहरा से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी जो शिवपाल यादव की पार्टी है , ने भी मलखान सिंह राजपूत को प्रत्याशी बनाया है जो पूर्व में चंबल के बीहड़ में डाकू थे ।

जहां 2009 में यह दोनों सीटें कांग्रेस के पास थी तो 2014 में कांग्रेस बेहद बुरी तरह से हारी थी । खीरी सीट पर 2014 में कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी तो धौरहरा में कांग्रेस चौथे नंबर पर थी । दोनों सीटों पर बसपा दूसरे नंबर पर रही थी । अब अगर देखे तो दोनों सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा हैं । दोनों सीटों में शामिल सभी विधान सभाओं पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है । लेकिन महागठबंधन बनने से गठबंधन के प्रत्याशी भी मजबूत नजर आ रहे है । दोनों सीटों पर कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं है लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी अपनी निजी छवि के कारण मुकाबले में बने हुए हैं । दोनों सीटों पर कुर्मी, मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं । खीरी सीट पर कांग्रेस ने मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट देकर मुस्लिम वोट को गठबंधन से छीनने की कोशिश की है । अगर मुस्लिम वोट कांग्रेस के साथ कम गया तो इस सीट पर गठबंधन प्रत्याशी का जीतना तय हैं । धौरहरा सीट पर निश्चित ही शिवपाल की पार्टी गठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगायेगी । इससे यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही हो जाएगा । अभी तो दोनों सीटों पर त्रिकोणीय लड़ाई ही नजर आ रही हैं जिसमें खीरी सीट पर गठबंधन और धौरहरा पर भाजपा बढ़त पर है ।