प्रयागराज की बेटियोँ ने अपने माता-पिता को चौँकाते हुए, माँ का सेवानिवृत्ति-दिवस मनाया!

प्राय: देखा और सुना गया है कि किसी कर्मचारी का सेवानिवृत्ति-दिवस संस्था, संस्थान, कार्यालयादिक वा चिर-परिचितजन की ओर से आयोजित किया जाता है, जबकि ऐसा बहुत कम देखा गया है कि बेटियोँ ने मनसा-वाचा-कर्मणा समर्पित भाव से अपनी माँ के सेवानिवृत्ति-दिवस का आयोजन किया हो, वह भी पूर्ण हर्षोल्लास के साथ। इतना ही नहीँ, वह आयोजन भी ऐसा रहा हो कि माँ का सेवानिवृत्ति-दिवस हो, जिसकी वास्तविक सूचना से न तो पिता को अवगत कराया गया हो और न माँ को ही; और वह भी एक दिन के भीतर आयोजन हो जाये, यह आश्चर्य का विषय तो है ही।

उस पूरे आयोजन मे एक पाँव पर खड़ी रहकर राष्ट्रपति-पुरस्कारप्राप्त, मलयेशिया-शासन की ओर से आयोजित बौद्धिक-सांस्कृतिक अन्तरराष्ट्रीय आयोजन मे भारत का प्रतिनिधित्व करनेवाली, एक सुपुत्री ने सारी गोपनीयता बरतते और एक भव्य आयोजन करते हुए, अपने माता-पिता के प्रति महती श्रद्धा-भक्ति की भावना को व्यावहारिक रूप दे दिया। उस पुत्री ने अतिथियोँ के लिए स्वल्पाहार और पूर्णाहार की विधिवत् व्यवस्था की थी; साथ ही, गीत-संगीत की भी।

उस अवसर पर मुझे भी सहभागिता करने का अवसर प्राप्त हुआ था। उन आदर्श और संस्काशील बेटियोँ मे हमारी बेटियोँ का प्रतिरूप दिख रहा था।

ज्ञातव्य है कि दो दिनो-पूर्व स्वामी विवेकानन्द , जॉर्ज टाउन, स्वामी विवेकानन्द हायर सेकण्डरी, थरवई मे सहायक अध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हुईँ सहायक अध्यापक की दोनो बेटियोँ ने दो दिनो के भीतर ही अपने माता-पिता को चौँकाते हुए, अपनी सहेली स्तुति के बच्चे के जन्मतिथि-आयोजन की सूचना देकर २९ मार्च को उच्च न्यायालय, प्रयागराज के समीप के होटल ‘ओम् साईँ की रसोई’ मे बुला लिया, जहाँ सुखद आश्चर्य कराते हुए, उस आयोजन की केन्द्रीय कार्यकर्त्री, उनकी ज्येष्ठ पुत्री ने अपनी माँ और पिता का मनोरम स्वागत किया।

जब मैने उस आयोजन के विषय मे उनकी ज्येष्ठ पुत्री के पिता से पूछा तब उन्होँने बताया कि वहाँ पत्नी और पुत्री के विद्यालय तथा अन्य परिचितजन को देखकर उनका कुछ माथा ठनका था; मगर उन्होँने उसे भी गम्भीरता से नहीँ लिया; वही स्थिति उनकी पत्नी की भी थी। पिता की दृष्टि सभागार मे जैसे ही ‘रिटायरमेण्ट डे’ शब्द पर पड़ी, सारी गोपनीयता पर से पर्दे उठने लगे। वे सारे शुभकर्म इतनी रहस्यमयकता के साथ किये गये थे कि आयोजन-स्थल पर पहुँचने के पाँच मिनट बाद ही वास्तविकता सामने आ पायी थी।

उनकी पुत्री की सहेलियोँ ने जब मुद्रित कराये गये निमन्त्रणपत्र मे आतिथेय (मेज़बान) के रूप मे अपने माता-पिता के नाम दिखाये तब उन्हेँ आश्चर्य का ठिकाना न रहा; क्योँकि जो सिद्धान्तत: स्वयं का स्वयं-द्वारा आयोजन करा रहा हो, उसे उस आयोजन की वास्तविकता के ‘कखगघ’ तक की भनक न लगे तो उसका श्रेय उनके बच्चोँ और बच्चोँ-द्वारा निमन्त्रित किये गये अतिथियोँ की विश्वसनीयता और आश्वासन को ही जायेगा; क्योँकि उन माता-पिता की बेटियोँ ने समस्त अतिथिवृन्द से साग्रह अनुरोध किया था कि वे आयोजन से पूर्व आयोजन के रहस्य को बनाये रखेँगे; उनके माता-पिता को नहीँ बतायेँगे।

अन्तत:, पति-पत्नी ने एक-दूसरे को माला पहनाये और शाकाहारी केक खिलाये, जिसका मुझे भी साक्षी होने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। वह आयोजन मेरे लिए पूर्णत: अप्रत्याशित रहा; क्योँकि वैसा आयोजन और उसका परिदृश्य अभूतपूर्व रहा।

ज्ञातव्य है कि उस सेवानिवृत्त सहायक अध्यापक ने अपना आरम्भिक शिक्षणकार्य क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल, इलाहाबाद से किया था। उनकी बाल-प्रौढ़ तथा क्रीड़ा-विषयोँ पर १६ पुस्तकेँ हैँ। उन्हेँ बालसाहित्य का पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है, साथ ही ‘साहित्य-शिखर सम्मान’ भी। प्रसारभारती से उनकी विविध रचनाओँ का प्रसारण हो चुका है तथा देश के अनेक प्रतिष्ठित समाचारपत्र-पत्रिकाओँ मे रचनाओँ का प्रकाशन भी। वे राष्ट्रीय स्तर की एथलीट भी रही हैँ। वर्तमान मे, वे प्रयागराज मे अपने परिवार के साथ निवास कर रही हैँ।

जैसा हमे रहस्य के आवरण मे रखा गया था, हमने भी अपने पाठक-पाठिकावर्ग को रखने का एक लघु प्रयास किया है। अब हम भी नेपथ्य से पर्दा उठाने की कोशिश कर रहे हैँ।
उल्लेखनीय है कि वह आयोजन भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ था। रेडियो फ़ीवर (एफ० एम०) की रेडियो जॉकी कर्णिका ने समारोह का संचालन किया था।

इस अवसर पर कंजिका-कर्णिका की पूर्व सहपाठिनी, कंजिका के विद्यालय के समस्त सहायक अध्यापक, आयोजन की नायिका निशा पाण्डेय के विद्यालय के कतिपय व्यवहारकुशल एवं शालीन सहायक अध्यापकोँ की समुपस्थिति रही। विशेष सहयोगिनी स्तुति, आकृति, ख़दीजा, सुस्मिता, उत्कर्षा, ओम जी, गौरव, रामलखन, विनीता, धीरेन्द्र मिश्र, कंचन, अपर्णा, मिसेस मेरी, अदिति, विजय राय, गरिमा त्रिपाठी, संजू, भावना, गिरीश, संध्या, बंशीधर मिश्र, मीनाक्षी मिश्र, भाव्या, रुचि शर्मा इत्यादिक की सहभागिता सराहनीय रही।

कंजिका हमारी ज्येष्ठ पुत्री है और कर्णिका कनिष्ठ पुत्री। जिनके सेवानिवृत्त-दिवस पर अनिर्वचनीय समारोह आयोजित किया गया था, वे मेरी अर्द्धांगिनी निशा पाण्डेय हैँ।

सुपुत्री कंजिका के उपर्युक्त सत्कर्म के प्रति व्यक्त करने के लिए सारे आशीर्वादात्मक शब्द संकुचित लक्षित हो रहे हैँ।