डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जी की असाधारण कविता :— ‘हमारी हिन्दी’

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय


हिन्दी के नाम पर,
हिंगलिश की मंडी है |

सिखाता शुद्ध हिन्दी,
तो कहते घमंडी है |

मगर मैं तो कहता,
वे सारे पाखंडी हैं |

पल में झुलसने वाली
गोबर की कण्डी हैं |

शब्दों में महज़ पौरुष,
वास्तव में, शिखंडी हैं |

मेरे एक-एक शब्द,
गर समझो तो चंडी है |

उसकी गरमाहट तो,
जैसे जाड़े में बंडी है |

और लहराती इतनी,
जैसे तिरंगी झंडी है |

प्रेरणा की यह ताक़त,
हर सहारे की डंडी है |

इतिहास है बताता,
हिन्दी तो रणचंडी है |

(सर्वाधिकार सुरक्षित : ५ अक्तूबर, २०१५ ईसवी)