आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की रविवासरीय/रविवारीय पाठशाला में ‘कल’

लगभग चार वर्षों से देश के शीर्षस्थ हिन्दी-दैनिक समाचारपत्र ‘दैनिक जागरण’ में हमारी ‘भाषा की पाठशाला’ अनवरत प्रकाशित होती आ रही है। पहले यह ‘प्रति शनिवार’ को सप्तरंग पृष्ठ पर अपना भाषिक आकार ग्रहण करते हुए, ज्ञान-पिपासुओं को परितृप्त करती थी; गत (‘गत्-विगत्’ शब्द अशुद्ध हैं।) सप्ताह से इसके दिन में परिवर्त्तन हो चुका है।

अब आपको ‘प्रत्येक रविवार’ को ‘झंकार’ परिशिष्ट (अलग से चार पृष्ठ) के ठीक पीछे के ‘सप्तरंग’ पृष्ठ पर ‘हिंदी हैं हम’ के अन्तर्गत हमारी ‘भाषा की पाठशाला’ दिखेगी, जिसमें आप सभी मानसिक स्तर पर प्रवेश कर सकते हैं। आप सभी एक ‘जिज्ञासु’ और ‘आदर्श विद्यार्थी’ की भूमिका में हमारी पाठशाला में उपस्थित रहेंगे, आशा तो की ही जा सकती है। फ़ीचर-सम्पादक प्रियवर अरुण कुमार श्रीवास्तव जी आपके लिए पाठशाला में अध्ययन-सामग्री को आकर्षक रूप में (यहाँ ‘से’ अशुद्ध है।) प्रस्तुत करेंगे। हम उनके यशस्वी जीवन की कामना करते हैं।

आपको कल (५ सितम्बर) की ‘रविवासरीय पाठशाला’ में ‘हज़ारो-हज़ारों’, ‘हज़ारों-हज़ार’, ‘छह दिन बाद’, ‘पृष्ठ’, ‘पृष्ठसंख्या’, ‘१० रुपये’ आदिक के विषय में सारगर्भित जानकारी प्राप्त होगी। हो सकता है, आपको ‘विस्मित’ होने का मौक़ा भी मिल जाये।

तो आइए! ‘कल’ की प्रतीक्षा करते हैं; क्योंकि ‘कल’ (५ सितम्बर, २०२१ ईसवी) सदैव आता है।