आइये जानते है एक नये योगासन “पश्चिमोत्तानासन” के विषय में

पश्चिमोत्तानासन दो शब्द मिल कर बना है -‘पश्चिम’ का अर्थ होता है पीछे और ‘उत्तांन’ का अर्थ होता है तानना। इस आसन के दौरान रीढ़ की हड्डी के साथ शरीर का पिछला भाग तन जाता है जिसके कारण इसका नाम पश्चिमोत्तानासन दिया गया है। यह स्वस्थ के लिए बहुत ही ज़्यादा लाभदायक आसन है। यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करने में मदद करता है।
विधि:-
1 . सबसे पहले आप जमीन पर बैठ जाएं।
2 . अब आप दोनों पैरों को सामने फैलाएं।
3 .पीठ की पेशियों को ढीला छोड़ दें।
4 .सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर लेकर जाएं। फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुके।
5 .आप कोशिश करते हैं अपने हाथ से उँगलियों को
पकड़ने और नाक को घुटने से सटाने का। धीरे धीरे सांस लें, फिर धीरे धीरे सांस छोड़े
6. अपने हिसाब से इस अभ्यास को धारण करें।
7 . धीरे धीरे इस की अवधि को बढ़ाते रहे।
8 .- यह एक चक्र हुआ।
इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें ।

पश्चिमोत्तानासन के लाभ 

पश्चिमोत्तानासन योग रीढ़ की हड्डी के लिए : यह आसन मेरुदंड को लचीला बनाता है और हमें बहुत रोगों से दूर करता हैं।

पश्चिमोत्तानासन योग मोटापा कम के लिए : अगर आपको अपनी पेट की चर्बी कम करनी हो तो इस आसन का नियमित अभ्यास करें। यह पेट को कम करने के साथ-साथ कमर को पतला करने में भी मदद करता है।

वीर्य सम्बंधित परेशानियों में : यह आसन वीर्य (Semen) सम्बंधित परेशानियों को दूर करता है।

पेट की मांसपेशियों के लिए : इसका नियमित अभ्यास करने से पेट की पेशियां मजबूत होती है जो पाचन से सम्बंधित परेशानियां जैसे कब्ज, अपच को दूर करने में सहायक है।

पश्चिमोत्तानासन त्वचा रोगों की लिए : इस आसन के अभ्यास से त्वचा रोगों को दूर करने में सहायता मिलती है।

साइटिका योग : यह आसन साइटिका से सम्बंधित रोगों को दूर करता है।

तनाव कम करने के आसन : पश्चिमोत्तानासन का नियमित अभ्यास से तनाव में बहुत हद तक कण्ट्रोल पाया जा सकता है और साथ ही साथ क्रोध को दूर करते हुए मन को शांति एवं प्रसन्न रखता है। इस आसन को करने से गुस्सा नियंत्रित होता हैं|

पथरी के लिए योग : पश्चिमोत्तानासन के अभ्यास से आप गुर्दे की पथरी को रोक सकते हैं।

एजिंग को धीमा करने वाला योग : इसके अभ्यास से आप उम्र की गति को धीमा कर सकते हैं।

पश्चिमोत्तानासन बवासीर के लिए: यह बवासीर में लाभकारी है।

अनिद्रा रोग में सहायक : यह आसन अनिद्रा रोग में लाभदायक है।

बौनापन दूर करें योग से : पश्चिमोत्तानासन के नियमित अभ्यास से शरीर की हाइट बड़ाई जा सकती है और बौनापन से निजात मि सकती है।

चेहरे पर तेज लाता है : इस आसन के अभ्यास से पुरे शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर हो जाता है जो चेहरे पर तेज लाता है, कमजोरी को दूर करता है। आपको तरोताजा रखते हुए मन को खुश रखता है।

पेट के कीड़े माड़ने के लिए: पेट के कीड़े मारता है।

महिलाओ के लिए लाभकारी: यह आसन महिलाओ के कई रोगों में भी लाभकारी है और महिलाओ के मासिक धर्म से सम्बन्धित सभी विकार के हल निकालने में कारगर है।

पश्चिमोत्तानासन सावधानी । (Paschimottanasana precaution)

1 .पश्चिमोत्तानासन उनको नहीं करनी चाहिए जिनके पेट में अल्सर की शिकायत हो।
2 .ध्यान रहे. इस योग को हमेशा खाली पेट ही करनी चाहिए। 3 . शुरुआती दौड़ में इस आसन को करते समय जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
4 .इस आसन को झटके के साथ कभी भी न करें।
5 .अगर आपके आंत में सूजन हो तो इसका अभ्यास बिल्कुल न करें।
6 .कमर में तकलीफ हो तो इस योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
7 .-इस आसन के बाद भुजंगासन व शलभासन करने से कमर को राहत मिलती है। 

योगाचार्य दीपक कुमार गुप्ता
योग/आहार विशेषज्ञ