‘होटल एमिनेण्ट’, आगरा में सुमधुर सारस्वत आयोजन

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय अनुभव साझा करते हुए

३ अक्तूबर को ‘होटल एमिनेण्ट’, आगरा में साहित्यकार और कवयित्री प्रियवर डॉ० मधु भारद्वाज जी से भेंटकर आत्मिक सुख प्राप्त हुआ था। उन्होंने सद्य:-प्रकाशित अपनी दो कृतियाँ :– (१) ‘जियो तो कुछ ऐसे’ (काव्यसंग्रह) (२) ‘कुछ निबन्ध आपके लिए’ (निबन्ध-संग्रह) मुझे भेंटकर अपनी सारस्वत सदाशयता का परिचय दिया है।

डॉ० मधु भारद्वाज-द्वारा आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय को अपनी कृतियाँ भेंट करने के पश्चात् का छायाचित्र।

हमारी यह दूसरी भेंट रही है :– पहली भेंट प्राकृतिक वैभवसम्पन्न स्थल ‘शिमला’, हिमाचलप्रदेश में हुई थी और दूसरी भेंट ऐतिहासिक नगर ‘आगरा’ में।

प्रियवर डॉ० मधु भारद्वाज जी ने एक ऐसे हस्ताक्षर से भी भेंट कराया था, जो ‘आगरा पब्लिक स्कूल’ के नाम से संचालित प्राथमिक-माध्यमिक-उच्चस्तरीय नौ शिक्षणसंस्थानों के स्वामी हैं और एक कुशल प्रबन्धक भी। सादगी से युक्त सम्मान्य महेश शर्मा जी मुझसे भेंट करने के लिए ही मेरे प्रवासस्थल ‘होटल एमिनेण्ट’ की कक्षसंख्या में पधारे थे।

शिक्षणसंस्थान-स्वामी श्री महेश शर्मा के साथ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय।

७१ (इकहत्तर) वर्षीय श्रद्धेय शर्मा जी की विनयशीलता और हिन्दी-अनुराग के प्रति प्रतिबद्धता देखते ही बन रही थी। अकस्मात् प्रसंग छिड़ा और हम तीनों हिन्दी-भाषा के अन्तर्गत व्यहृत अशुद्ध शब्दप्रयोग पर संवाद करने लगे थे।

मत-सम्मत का निष्कर्ष यह रहा कि देश के शिक्षक तथा शेष प्रबुद्धवर्ग उच्चारण (मौखिक भाषा) और लेखन (लिखित भाषा)-स्तर पर शुद्ध हिन्दीभाषा का व्यवहार करें और हमारे विद्यार्थियों को विधिवत् शिक्षित-प्रशिक्षित करने का दायित्व-निर्वहण करें।

उक्त अनौपचारिक वैचारिक आयोजन के पश्चात् मित्र डॉ० मधु जी ने पेय पदार्थ ‘कॉफ़ी’ का प्रस्ताव किया। (यहाँ ‘दिया’ का प्रयोग अशुद्ध है।) हम तीनों आगरा के प्रतिष्ठित स्वल्पाहार-प्रतिष्ठान ‘कैफे कॉफ़ी-डे’, संजय पैलेस पहुँचे थे। शुभचिन्तक डॉ० भारद्वाज जी के सौजन्य से ‘कॉफ़ी’ और अन्य खाद्यपदार्थ की उत्तम व्यस्था थी। आत्मीयतापूर्ण परिवेश में हमने खाद्य और पेय पदार्थों का सेवन किया।