विश्व जल दिवस पर अवधेश शुक्ल के दोहे

पानी मीठा चाहिए, जीव-जगत सब कोय ।
अति आनन्द प्रीति तिया, काया जबहिं भिगोय ।।

पानी पी-पी जग जिये, जुग-जुग अकट प्रमान ।
पानी मत बिथराइयो, रखियो याको मान ।।

पानी बहता निर्झरा, ऋतम्भरा हरसाय ।
सीतल पानी पान को, कौन नहीं ललचाय ।।

पानी बादल लाइयो, खार समुद्र सुखाय ।
अमृत सम बरसाइयो, सब धरती हरियाय ।।

पानी नदिया लै चली, प्रियतम सागर छोर ।
गुण अवगुण सब साथ में, रखी न कोई कोर।।

पानी निर्मल सब चहैं, हिय निर्मलता कौन ।
कल-कल, कुल-कुल स्वर लहर, अंतरध्वनि हुइ मौन ।।

पानी जिस बर्तन भरा, धारयो वइसन रूप ।
पानी रंग बरुथिया, सहजै भयो अनूप ।।

पानी जिमि रौ बहिचलै, दिखै न कोई वेश ।
आतम देही त्यागि तिमि, चलै पिया के देश ।।

विदु-जन सुरति बिसारिया, भागैं दुनिया साथ ।
मूरख तुम ना भागियो, बरतन साधे हाथ ।।

       अवधेश कुमार शुक्ला
   मूरख हिरदै, मूर्खों की दुनिया 
           विश्व जल दिवस
 चैत्र प्रथमा, संवत २०८० - चंद्र
           22 मार्च 2023