घनघोर बादल
कहां हो?
मानव दानव के लिए न सही
पर इस धरा के लिए सही
सब की प्यास
बुझा दो।
तप्त ऊष्मा से
मुरझा रही जो
प्रकृति रूपसी
उसको जरा
अपने शीतल स्पर्श से
सहला दो।
जीव-जंतुओं के
सूख रहे जो कंठ
सूर्य की तप्त किरणों से।
उनको जरा
अपने नभ के
शीतल जल से
तृप्त कर दो।
डॉ. राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता-गांव जनयानकड़
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश