शैलपुत्री

हे शैल सुता विनती सुन लो
हे वृषभ वाहिनी तुम सुन लो
अंतर से तुम्हें बुलाता हूँ
दुख सन्ताप सारे सुनाता हूँ
मैं पीड़ा देश की गाता हूँ
जन जन का दुखड़ा गाता हूँ।
जब जब ह्रदय को चोट लगे
मैं शरण तिहारी आता हूँ
महँगाई से नित लड़ रहे
देखो घर कैसे उजड़ रहे
दो जून की रोटी को तरसे
बेमौसम ओले भी बरसे
आफत की इस घड़ी में माँ
सूझे न मुझको कुछ भी माँ ।

-डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित
कवि साहित्यकार
भवानीमंडी
जिला झालावाड़
राजस्थान