इबादत

आकांक्षा मिश्रा, गोंडा, उत्तर प्रदेश

हमारे,
वक्त का एक खैरियत, इबादत व हाल-चाल ।

यहाँ तक
जिंदगी के बहुत सारे नियम बदलने कोशिश न कर सके ,
छोड़ दिये मुहब्बत ,वादे और इबादते ।

बहुत
मुश्किल हुई
थोड़ा रुक कर चलूं
एक बार तुम्हे छूकर गुजर जाऊं ।

इबादत ,

बहुत सारे मुल्कों को साथ ले चलने की ताकत होती है ।

सब कुछ
बदल रहा धीरे -धीरे ।

यहाँ
तक की हमारे चेहरे जिसे बड़े जतन से सँवारा ।
सब कुछ बदल रहा ।