जय भारत-जय भारत

आरती जायसवाल
कथाकार, समीक्षक

धरती और गगन कहे,
सुख शांति चहुँ ओर रहे
जय भारत-जय भारत।
सद्भाव के बीज उगे ,
उन्नति का आशा जगे,
खुशियों की फ़सल लगे ,
तन-मन झूमे और कहे
जय भारत-जय भारत।
लहराता हुआ ध्वज कहे,
वीरभूमि की रज कहे,
जय भारत-जय भारत।
राष्ट्रप्रेम का मंत्र रहे,
अजेय सुरक्षा तंत्र रहे,
स्वतन्त्र है, स्वतन्त्र रहे
जय भारत-जय भारत।