● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
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ठेहुनाव;
केहुनाव;
पहुँनाव।
आ केकर-केकर झँकब,
होने से हेने आव।
तनी खइनी बनाव,
आ हे चुनौटिया-उठाव।
मल भा मीज,
आ धीरे से फटक।
जीभिया के उठाव,
आ खइनिया दबाव।
आ धीरे-धीरे भीतरा,
रसवा के घुलाव।
आ माजा ना मिले–
त मुँहवा फुलाव।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ३० सितम्बर, २०२४ ईसवी।)